एक अधूरा बचपन

आंधी की आग में जला था एक घर,

हँसी थी गई,  खिलौने थे टूटे, छूटा था एक बचपन !

 

घर था टुटा, आदर्श था छूटा ,

चल रही थी सासे, दम था घुटा,

दिखावटी थे अपने,थे उनके झूठे सपने,

दिन के उजालो में उम्मीद थी गयी मर,

रात के अंधेरो में माँ की आँखे थी तर,

एक आंधी में टुटा जो था घर !

 

रंगो-सजावट के जोर में, पटाखो के शोर में,

आई थी होली, आई थी दिवाली,

सुना सुखा अँधेरे में था एक घर !

रंगो-रौशनी के त्यौहार में कैसे बनाता ख़ुशी,

कैसे भूलता जलती रौशनी में बेरंग हुआ था एक घर,

हँसी थी गई, खिलौने थे टूटे, छूटा था एक बचपन !

 

ना बदली थी गीता, ना बदली थी कुरान,

सब पर समय था बलवान,

समय बदला था, बदला था हर इंसान …

 

समय ने आँखे भरी, भर आया हौसला,

जब तिनको से बनाती दिखी चिड़िया घोंसला,

यादो से आगे बनने चला था नया घर,

कोने में थी यादे, कोने में था बचपन,

ना आई वो हँसी, ना आये वो खिलौने, जो अधूरा था बचपन !

 

आंधी की आग में जला था एक घर,

हँसी थी गयी, टूटे थे खिलौने, छूटा था बचपन!

[सचिन सनसनवाल ]

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

  1. आंधी की आग में जला था एक घर,
    हँसी थी गयी, टूटे थे खिलौने, छूटा था बचपन!… beautiful

  2. my heart filled with so much of emotions when your words passing through it….too difficult to write such poem….too good and great…loved your words 🙂

  3. Age doesn’t matters… you need to just feel what your heart saying .
    By the way too funny comment 🙂

Comments are closed.

+

New Report

Close