जलन
जलने का ही शौक है तो दीपक की तरह जलो अंधेरा दूर करदे अपना और अपनो का चलो प्रेम के मार्ग की दीवार है जलन…
जलने का ही शौक है तो दीपक की तरह जलो अंधेरा दूर करदे अपना और अपनो का चलो प्रेम के मार्ग की दीवार है जलन…
सूरज को देखकर फूल सब खिल जाते हैं उन्नति करता है वह देश जहां लोग घुल मिल जाते हैं नफरत ओ को दूर करते हैं…
असफल वही होते हैं जो हिम्मत हार जाते हैं हिम्मत की कुंजी लेकर ही सफलता के द्वार जाते हैं संकटों को पीठ मत दिखाओ करो…
करते रहो प्रयास यूं ही कुछ पाने के लिए मिली नहीं जिंदगी व्यर्थ में गवाने के लिए जानवर भी अपना पेट भरना जानते हैं जीने…
युद्ध के मैदान में खड़े होकर मत सोचो भाग जाने की जितना जल्दी हो सके कोशिश करो j जाग जाने की भले ना हो कृष्ण…
आप के खेत में निराशा की घास उग आई है उखाड़ कर फेक दीजिए ये बड़ी दुखदायी है मन के तालाब में उतसाह का नीर…
है ये दुनिया तुम्हारी गर इरादा करो प्रेम करना है सबसे एक वादा करो आँख मे लक्ष्य की तस्वीर एक रखो कोशिश हो लगातार ज्यादा…
आइए करे हम अपने गुरु का सम्मान जिसने दिया है तीसरी नेत्र सा ग्यान गोविंद से बड़े है अग्यान हरण करते सत सत नमन है…
जरूरी नहीं है कि वन्दूख लेकर सब देश की सीमा में जाए देश की ही सेवा है मिली जो जिम्मेदारी है उसे बखूबी निभाए कोई…
जिंदगी नदी की धारा है जिसमे सुख दुख के किनारे है आखिर में हम सागर के और सागर हमारे है मिलते हैं रास्ते में चट्टान…
चिकित्सक के रूप में धरा पर भगवान् आते हैं मुरझाए हुए चेहरों पर मुस्कान जो लाते हैं जिंदगी की जंग लड़ रहे मरीज ने कहा…
आजादी के लिए हमारे देश भक्तो ने अपना लहू बहाया है अनगिनत नारियों ने अपनी मांग का सिंदूर मिटाया है सम्हाल कर रखे पूर्वजों की…
दोस्ती होती नहीं कुछ यूँ ही आजमाने के लिए दोस्ती होती है जन्म जन्मा न्तर तक निभाने के लिए राम सुग्रीव और कृष्ण सुदामा को…
आइए आज से हम सब पांच दस पेड़ लगाए शायद अस्पतालों के चक्कर से बच जाए बड़ा करे इन्हे संतान की तरह पाल कर हम…
पीते नहीं शराब हम फिर भी नशा छाया है हर पल का हिसाब है क्या खोया क्या पाया है लक्ष्य को हासिल करने का नशा…
नशा मत करो ये नाश का मूल है इंसान के जीवन की सबसे बड़ी भूल है तन मन और धन की बर्बादी है ये इज्जत…
मुसीबत आई है मगर रोक नहीं पाएगी चाल को भेदन करना आता है हमे चक्र व्यूह के जाल को महामारी क्या डराएगी हम सब तैयार…
जंग जारी है कोरोना के खिलाफ एक दिन जीत जाएंगे पतझड़ है घबरा मत बसंत आएगा गीत गाएंगे
अवतार है अनेक भगवान् एक है मजहब के नाम पर लड़ना न नेक है सब अपने रिवाजों से करे ईश वंदना इंसानियत भी धर्म है…
पहले करे कर्तव्य फिर अधिकार लीजिए कर्मो की है प्रधानता संसार लीजिए काटेंगे फसल कल बोयेगे बीज आज कुछ प्यार लीजिए कुछ प्यार दीजिए
शिव नहीं है चंदन नहीं हैं मगर सांपो को लिपटाए हैं आज कल इस धरती में इसी तरह के बादल छाए है
कुछ नहीं कर सकते हो तो दुआए करो शायद कबूल हो जाए महामारी का शूल चुभा है जो शायद गुलाब का फूल हो जाए
दौलत का गरूर मत कर खाली हाथ जाएगा तेरा शुभ करम ही तेरी पहचान बनाएगा कुछ पुण्य भी कमा लो करके परोपकार इस लोक में…
वर्षो कि कमाई को करना नहीं बेकार कुरवनियो से हो सका है देश बन तैयार ये देश है धरोहर रखना सम्हाल कर हम भी है…
समझ गया है जमाना बेटा बेटी में फर्क नहीं होता जागरूक होते पहले से तो जीवन नर्क नहीं होता कन्या भ्रूण हत्या करना कराना अपराध…
आओ सब मिलकर एक दीपक जलाए रोशनी करके अपनो के बीच का अंधेरा भगाए दलित उपेक्षित पीडि़तो के बच्चों को उनके घर जाकर निशुल्क पढ़ाए
सच्चा सुख मिलता है मेहनत की कमाई से बच के चलना जरूरी है इस युग की बुराई से ईमानदारी से बढ़कर कोई नीति नहीं है…
प्यार करना आसान है मुश्किल है निभाना नादानी मत करना सोच समझ कर जाना खिलौना समझकर खिलवाड़ मत करना उम्र भर ये रिश्ता पड़ता है…
अपने ही घर को मंदिर बना ले कही और नहीं जाना बोलती प्रतिमाए है घर के सदस्य सभी पुजारी की तरह अपना बना आशियाना
पाएगा कुछ न वन्दे भगवान् को भुलाकर हसने की सोचता है मां बाप को रुलाकर इंसान के अवतार में भगवान् को पाया इनके चरण है…
आओ नमन करें उन्हें श्रद्धा से , मां भारती की रक्षा के खातिर , जो प्राण देश पर न्योछावर कर जाते हैं । बड़ी हिम्मत…
आतंकवाद की जड़ को काटने की जरूरत है जेल मे डालो या फांसी दो देखना नहीं मुहूर्त है इसने इंसानियत को शर्मसार किया है इंसान…
इक्कीसवीं सदी का हमारा हिंदुस्तान है घूर नहीं सकता कोई अब इतना बलवान है आतंकवाद अब नहीं बर्दास्त करेंगे अंतरिक्ष हो या धरती अपनी अलग…
यह सच है कि मुझे काले काले बादलों ने घेरा है इतना आसान नहीं है मुझे डराना क्यूंकि भारत में मेरा बसेरा है
तेरे घर की रोशनी क्यूँ देखूँ जब मेरे घर में अंधेरा हो आखिरी रात न हो जाए कही जब तक हर ओर सबेरा हो उसकी…
एक हाथ से ही अब बजने लगी ताली है खुशी ग़म की टोकरी कई दिनो से खाली है
मिली नहीं है आंख हरपल आंशु बहाने के लिए क्या कुछ नहीं जहां में देखने दिखाने के लिए अभी भी समय है हो जाओ सचेत…
निभा तो सही सबसे इंसानियत का नाता है कड़ी धूप और बरसात से बचाने वाला छाता है परहित से बड़ा कोई धर्म नहीं होता तेरा…
क्यों मांगते हो वरदान परिस्थितिया सदा अनुकूल हो चलना हमारा काम है गली में कांटे हो या फूल हों
बुरा वक्त है एक दिन यह भी बीत जाएगा विश्वास बनाए रखना एक दिन जीत जाएगा परीक्षा है परमात्मा की धैर्य से दे उम्मीद रख…
अपने देश में खुशियों बरसात कराएंगे अनेक प्रकार के ये लोग जिस दिन एक हो जाएंगे
चुनौतीया है देश मे कई हम भी स्वीकार करते हैं देखकर दंग होता है जहां जब हम नई उड़ान भरते हैं
धरती से आकाश जितना दूर होगा उतना ही दीर्घायु तुम्हारी मांग का सिंदूर होगा
नैतिक जिम्मेदारी है सबकी सुंदर परिवेश बनाना फैलती है गंदगी से बीमारियां इनको दूर भगाना
डरो मत तूफानों से आते जाते रहेंगे कवि हैं कविताओं से हिम्मत बढ़ाते रहेंगे
मेरे वतन के सैनिकों अब देश ही परिवार है कबूल करो देशवासियों की दुआ और प्यार है
माता कहते हो जिस देश को वहां नारी का सम्मान है अनेकता में एकता ही भारत की पहचान है
हौसला आप यूँ ही बनाए रहे देश की इस धरा को बचाए रहे भेड़ियों की सभी चाल नाकाम हो देश सीमा कि शोभा बढ़ाए रहे
नीचता ऊ़चता देखते हम चले आइए भूल जाए न सिक्वे गिले एक जैसा सदा भाव लेकर चले फूल जैसा बगीचा वतन. मे खिले
शाहीदो की शहादत कभी हम भुला सकते नहीं रोना जिन्हे आता नहीं और रुला सकते नहीं
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