ये दोस्ती

मेरी दोस्ती पर लिखी ये कविता, दोस्तों को समर्पित ये दोस्ती अल्हड़पन के लंगोटिये, ५० साल से साथ चल रहे हैं दोस्ती की किताब में…

सूरज

आजतक सूरज कितने अच्छे बुरे अनदेखे पलों का साक्षी है पर उसकी चाल, उसके कर्म पर कभी कोई फर्क नहीं आया हर सुबह उसी ऊर्जा…

औरत

औरत की बेफिक्र चाल, धक् सी लगती है किसी को औरत की हँसी, बेपरवाह सी लगती है किसी को औरत का नाचना, बेशर्म होना सा…

बरगद आजकल

अटल, अडिग, विशाल बूढ़े पेड़ को देख कर लगता है जैसे कोई ज्ञानी ध्यानी बाबा, आसन जमाकर बैठा है पेड़ की कुछ झूलती जटायें जो…

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