आज़ादी के मायने
क्या सोचके निकले थे, और कहाँ निकल गये हैं ७२ साल में आज़ादी के, मायने ही बदल गये हैं आज मारपीट, दहशत और बलात्कार आज़ादी…
क्या सोचके निकले थे, और कहाँ निकल गये हैं ७२ साल में आज़ादी के, मायने ही बदल गये हैं आज मारपीट, दहशत और बलात्कार आज़ादी…
कल कालेज के एक पुराने मित्र से मुलाकात हो गयी देख कर भी नहीं पहचाना, कुछ अजीब बात हो गयी मैं बोला, क्यों भाई, पुराने…
बढ़ती उम्र का मतलब ये नहीं कि इंसान जीना छोड़ दे सारे काम बन्द कर मौत का इंतज़ार करना शुरू कर दे सेवानिवृति एक पड़ाव…
कोई बारिश से कहदे, उसको हद में रहना होगा गर बरसना है तो हमारी शर्तों पर बरसना होगा बेलगाम, बेखौफ, बेवक्त कहीं भी यूं बरस…
हँसकर जीना दस्तूर है ज़िंदगी का एक यही किस्सा मशहूर है ज़िंदगी का बीते हुए पल कभी लौट कर नहीं आते यही सबसे बड़ा कसूर…
मेरी दोस्ती पर लिखी ये कविता, दोस्तों को समर्पित ये दोस्ती अल्हड़पन के लंगोटिये, ५० साल से साथ चल रहे हैं दोस्ती की किताब में…
माफ़ करना, ये मैं नहीं, मेरी निराशा बोल रही है नासमझ, मेरी सहनशीलता को, फिर तोल रही है सुकून गायब है, ज़िंदगी उलझी २ सी…
आवाज को नहीं, अपने अलफ़ाज़ को ले जाओ बुलंदी पर बादलों की गरज नहीं, बारिश की बौछार फूल खिलाती है
जलने और जलाने का बस इतना सा फलसफा है फिक्र में होते है तो खुद जलते हैं बेफ़िक्र होते हैं तो दुनिया जलती है
मुझ पर दोस्तों का प्यार, यूँ ही उधार रहने दो बड़ा हसीन है ये कर्ज, मुझे कर्जदार रहने दो
ये कमबख्त दोस्त, उम्र की चादर खींच कर उतार देते हैं ये कमबख्त दोस्त ही है, जो कभी बूढा नहीं होने देते हैं दोस्तों से…
अपनी छाया में भगवन, बिठा ले मुझे (२) मैं हूँ तेरा तू अपना बना ले मुझे (२) अब मुझे गम का गम, ना ख़ुशी की…
किसी ने पूछा, दिल की खूबी क्या है, हमने कहा, हजारो ख्वाहिशों के नीचे दबकर भी धड़कता है
मुझे मंजूर नहीं है १६ जुलाई २०१८ जग में अपने अस्तित्व को लेकर मैं हैरान हूँ इस जीवन का उद्देश्य क्या है, मैं अनजान हूँ…
आजतक सूरज कितने अच्छे बुरे अनदेखे पलों का साक्षी है पर उसकी चाल, उसके कर्म पर कभी कोई फर्क नहीं आया हर सुबह उसी ऊर्जा…
किसी चीज को ठोकर मारना हमारी संस्कृति नहीं है यही वजह है हम फुटबॉल में विश्व चैंपियन नहीं है लेकिन हम एक दूसरे की टाँग…
रिहा हो गई बाइज्जत वो किसी कत्ल के इल्जाम से शौख निगाहों को अदालतों ने हथियार नहीं माना
औरत की बेफिक्र चाल, धक् सी लगती है किसी को औरत की हँसी, बेपरवाह सी लगती है किसी को औरत का नाचना, बेशर्म होना सा…
कल जो सम्पूर्ण था आज पूर्ण (Complete) रह गया है और आज का सम्पूर्ण (Perfect), कल पूर्ण रह जायेगा माँ बाप अपने विवेक अनुसार बच्चों…
इन्द्र देव इस बार कुछ, ज्यादा ही तबाही कर रहे हैं क्रोधित किसी अप्सरा ने किया, हम पर बरस रहे हैं कहीं पे सूखा पड़ा…
खटखटाते रहिये दरवाजा एक दूसरे का मुलाकातें ना सही, आहटें आती रहनी चाहिये
आतंकी जवानों को रोज गोली मार रहे हैं जनता द्वारा चुने नेता देश को खा रहे हैं ढोंगी बिना वजह ही, मुद्दे खड़े कर रहे…
व्यवहारिक” शब्द सुनते ही मीठा सा भान होता है व्यवहारिक इंसान का समाज में बड़ा मान होता है इन्हें सामाजिक परम्पराओं का खासा ज्ञान होता…
स्वछन्द प्रकृति का इन्सान हूं लेकिन नहीं चाहता मेरे कारण कोई रोये मुझे अपने ढंग से जीना पसंद है, बंधनों में बंधने की मेरी आदत…
अटल, अडिग, विशाल बूढ़े पेड़ को देख कर लगता है जैसे कोई ज्ञानी ध्यानी बाबा, आसन जमाकर बैठा है पेड़ की कुछ झूलती जटायें जो…
जीवन की आपाधापी में, चैन का एहसास कीजिये बेवजह की चिंता छोड़कर, बुढापे का मज़ा लीजिये शरीर पर झुर्री, बालों में चांदी, है तो होने…
ए बादल इतना बरस कि सारी नफरतें धुल जांयें इंसानियत तरस गई है, मोहब्बत के सैलाब को
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