‘हर अश्क सोख लेता है…………….
‘हर अश्क सोख लेता है वो आंख से मेरे, रोने भी नहीं देता मुझे, दर्द का सहरा…।’ ………………………………………..सतीश कसेरा
‘हर अश्क सोख लेता है वो आंख से मेरे, रोने भी नहीं देता मुझे, दर्द का सहरा…।’ ………………………………………..सतीश कसेरा
‘इक दिल के टूट जाने से क्या—क्या नहीं टूटा, पायल तो रही पांवों में, घुंघरु नहीं रहे………..’ ………………………………………………….सतीश कसेरा
आग क्यूं उठती नहीं है…….. वो तो बैठे हैं किलों में, घुट रहे हो तुम बिलों में आग क्यूं उठती नहीं है, आपके मुर्दा दिलों…
‘मुफ्त फूलों के साथ बिकती है, खुश्बूओं में वजन नहीं होता।’ ………………..सतीश कसेरा
‘यहां नहीं तो कहीं ओर जल रहा होगा, किसी सूरज के मुकद्दर में, कोई शाम नहीं…।’ ……………..सतीश कसेरा
घने अंधेरे भी बेहद जरुरी होते हैं….. घने अंधेरे भी बेहद जरुरी होते हैं बहुत से काम उजाले में नहीं होते हैं। उडऩा चाहेंगे जो…
गमछे रखकर के अपने कन्धों पर…. गमछे रखकर के अपने कन्धों पर बच्चे निकले हैं अपने धन्धों पर। हर जगह पैसे की खातिर है गिरें…
काटी है रात तुमने भी ले-ले के करवटें देखो बता रही हैं, चादर की सलवटें। उधड़ेगी किसी रोज सिलाई ये देखना यूं इस तरहं जो…
झगड़ों में घर के, घर को शर्मसार मत करो आंगन तो खुला रहने दो, दीवार मत करो। मारे शर्म के आंख उठा भी सकूं न…
कभी दीवार गिरती है, कभी छप्पर टपकता है कि आंधी और तूफां को भी मेरा घर खटकता है। चमकते शहर ऐसे ही नहीं मन को…
है कठिन जीवन बहुत, चहुं और हाहाकार है बोझ घर का सर पे है, हर चीज की दरकार है। बहन शादी को है तरसे, भाई…
अच्छा हुआ या बुरा हुआ सब पहले ही से है तय हुआ। कोई दूर से रहा ताकता कोई पास हो के भी न हुआ। मेरे…
यहां कोई न भला लगता है अब बियाबान मेंं जी लगता है। आ के शमशान में है ढ़ेर हुआ वो उम्र भर का चला लगता…
कोई तो दे दो वजह जीने की वरना मत पूछो वजह पीने की। दर्द अब आ गया है सहना तो क्या जरुरत है जख्म सीने…
दोस्त, दुश्मन तमाम रखता हूं मैं हथेली पे जान रखता हूं। शाम तक जाम क्यूं उदास रहे मैं तो अपनी ही शाम रखता हूं। कफन…
थकी सोई हुई लहरों को चलकर थपथपाते हैं समंदर में चलो मिलकर नया तूफान लाते हैं। न आये पांव में छाले तो मंजिल का मजा…
‘सच जो लिक्खा, तो ये मुमकिन है कि फंस जाओ तुम, मुकरना चाहो, तो हर बात जुबानी करना।’ ………सतीश कसेरा
कुछ न था हाथ की लकीरों में वरना होते न क्या अमीरों में। भरे जहान में भी कुछ न मिला हैं खाली हाथ हम फकीरों…
खुशी तलाश की, तो मिल ही गई दर्द के नीचे दब गई थी कहीं। छेड़ बैठे वो अपना ही किस्सा बीच में बात मेरी, रह…
वो नदी सी थी, मैं किनारा सा कुछ ऐसा ही मिलन, हमारा था। खुद में बस डूबते, उतरते रहे न समन्दर था, न किनारा था।…
‘उसे मालूम था मुझको जरुरत है बहुत उसकी, इसी खातिर मेरी नाराजगी में भी, वो घर आता रहा।’ …..सतीश कसेरा
‘बाद मुद्दत के मिला तो लिपट—लिपट के मिला, रोज मिलने से तो ये मिलना बडा अच्छा लगा।’ …..सतीश कसेरा
‘मैं दूर तक भी आ गया, पर वो वहीं पे खडा रहा ये उसको कैसे था पता, मैं मुड के देखूंगा जरुर।’ ……….सतीश कसेरा
हरे-भरे से थे रस्ते पहाड़ होने लगेनदी क्या सूखी, इलाके उजाड़ होने लगे।कौन से देवता को खुश करें कि बारिश होरोज चौपाल में ये ही…
सोचता हूं अभी पाजेब बजी है उसकी……….. दूर अपने से उसे होने नहीं देता हूं मैं ख्यालों में उसके साथ-साथ रहता हूं। मैने दीवार पे…
जिन्दगी जब जरा घबराने लगी फिर किताबों की याद आने लगी। कितना जागा हुआ था रातों का अब किताबें मुझे सुलाने लगी। उसकी तस्वीर अचानक…
फूल……, किताब,……. अलमारी…….तुमने जो फूल मुझे दिया थाउसे मैने एककिताब में रख दिया था और किताब अलमारी में रख कर लगा दिया था ताला। अब उस…
मिले थे फिर से तो, पर बात न होने पाई उनके लब कांप गए, मेरी आंख भर आई। बुझ गए थे सभी चिराग मगर इक…
रिश्ते के स्वेटर के प्यार की सलाई से ख्वाब मत बुन बावरी! शुरु में बड़ी आसान लगेगी लेकिन दिल तक आते-आते कभी टूटेगी ऊन पडऩे…
किस लिये रो रही हो नूर अपना खो रही हो एक ऐसे के लिये जो छोड़कर चला गया………. वो था धोखा पा के मौका आके…
पत्ता-पत्ता हिसाब लेता है तब कहीं पेड़ छांव देता है। भीड़ में शहर की न खो जाना ये दुआ सबका गांव देता है। हम भी…
कौन सा दर्द सुनाया जाए………. नींद को ढूंढ के लाया जाए चलो कुछ देर तो सोया जाए। जल गई इंतजार में आंखें अब जरा अश्क…
वो जमीं आसमां भी दूर रह के मिलते रहे हम अपने फासिलों में रहके बस तड़पते रहे। हमारे बीच खामोशी की नदी बहती रही हम…
कुछ तो होता जरुर नाता है ऐसे कोई नहीं मिल जाता है। उसी के सामने दिल को खोलें जिसे कुछ हाल पढऩा आता है। फिर…
कहीं बेघर ने इक छत का सहारा कर लिया होता तो फिर हर हाल में उसने गुजारा कर लिया होता। मुसाफिर का सफर थोड़ा जरा…
चांद पे चरखा चलाती रही…….. खुदा की दुनिया है, इसमें तो क्या कमी होगी हमारी आंख ही में ठहरी कुछ नमी होगी। जितना जीने के…
वो जब गली से गुजरें तो, कोई वहां न हो घर के सिवाय मेरे कोई, घर खुला न हो। बेहतर है कि दीवारों से, कुछ…
उसने जब उठते हुए रोका नहीं मैने भी चलते हुए सोचा नहीं। सामने सबके गले लग के मिले कभी तन्हाई में तो पूछा नहीं। इतना…
कोई तो रंग मिलाया जाये दिल का धुंआ भी तो देखा जाये। बेबसी ये कि रोक भी न सको और कोई पास से चला…
कौन किस्मत से भला जीता है………. ये उसके खेल का तरीका है कौन किस्मत से भला जीता है। पहुंच न पाते कभी मंजिल तक रास्तों…
खुदा का घर है आसमान, वो रहे रोशन——————- पता करो कि कहां, किसने जाल फैलाया सुबह गया था परिन्दा वो घर नहीं आया। रोशनी में…
मोहब्बत करके पछताने की खुद को यूं सजा दूंगा तुम्हें यादों में रक्खूंगा मगर दिल से भूला दूंगा। रहो बेफ्रिक तूफानों तुम्हारा दम भी रखना…
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