दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है
हम पर तुम्हारी चाह का इल्ज़ाम ही तो है दुश्नाम[1]! तो नहीं है ये इकराम[2] ही तो है करते हैं जिस पे ता’न[3], कोई जुर्म…
हम पर तुम्हारी चाह का इल्ज़ाम ही तो है दुश्नाम[1]! तो नहीं है ये इकराम[2] ही तो है करते हैं जिस पे ता’न[3], कोई जुर्म…
हाल ही में प्रज्ञा जी की कविता ‘वनिता’ को प्रेस में काफ़ी सराहना मिली। सावन परिवार प्रज्ञा जी के लिये कामना करता है कि उनको…
हाल ही में सतीश पांडे जी को अगस्त माह में आयोजित काव्य प्रतियोगिता में किये गये सर्वश्रेष्ट प्रदर्शन के लिये ‘अमर उजाला’ और ‘शाह टाइम्स’…
किसी भी आलोचक के लिए सबसे अहम उसका आलोचनात्मक विवेक होता है | इस गुण के बिना आलोचक कवि या काव्य की आत्मा में प्रवेश…
कुछ इस कदर के दुआएं बेअसर हो गई, के सारे मर्ज़ों की दवाएं मेरे ही सर हो गई, इलाज मिला मगर कहीं कुछ कसर हो…
कदम दर कदम मै बढाने चला हूँ। सफर जिन्दगी का सजाने चला हूँ। ज़माने की खुशियाँ जहाँ पें रखकर दौर जिन्दगी बनाने चला हूँ।। योगेन्द्र…
मुशायरा महीन अहसासों को बुनता हुआ, अल्फ़ाजों को सहजता हुआ एक ऐसा कारवां है जहां हर शख्स, हर शब्द अपने वजूद को महसूस करता है|…
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