प्यार पनपता है
प्यार पनपता है…. इक नन्हे पौधे की तरह खोलकर महीन मिट्टी की परतों को पाकर चंद बूंदे पानी की खोलकर अपनी हरी बाहें समा लेना…
प्यार पनपता है…. इक नन्हे पौधे की तरह खोलकर महीन मिट्टी की परतों को पाकर चंद बूंदे पानी की खोलकर अपनी हरी बाहें समा लेना…
मेरे अहसास लफ़्जों को तरस गये वो क्या गये, हमे खुद के लिये तरस गये Mere Ahasaasa Lafzo Ko Taras Gaye Vo Kya Gaye Hum…
उनके मुस्कुराने से आ गयी मुस्कान हमारे चेहरे पर वरना किसी गम में डूबी जा रही थी जिंदगी मेरी
जिक्र तो बहुत दफ़ा हुआ मिरा उनकी महफ़िल में मगर मुस्कुराये वो एक भी दफ़ा नहीं, मेरी मुस्कुराहट पे|
न जाने क्यों कुछ यादें अटक सी जाती है दिल में बार बार दोहराती रहती है खुद को अधूरे लफ्जों में|
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