वक़्त

कभी कभी वक़्त ऐसा आता है कि हम उसको जाने नही देना चाहते और कभी ऐसा वक़्त भी आता है जिसको हम आने नही देना…

मौका

मौका तो दो एक बार खुद को सही साबित करने का क्यों दूसरों से सुनी बातों पर विश्वास कर बैठते हो।।

आइना

ये मेरे आइने को भी आजकल न जाने क्या हो गया है मेरी छवि को छोड़ कर आपकी छवि दिखाने लगा है।।

क्यों

क्यों जन्म लेने से पहले ही, मार देते हो मुझको क्या मुझको हक़ नही, इस दुनिया में जीने का भूल गए हो तुम, ज़रा अपनी…

काश

काश हम खुशियों के पल को यूँ ही रोक पाते गमों की एक भी परछाईं को आप को न छूने दे पाते।।

कठपुतली

बनाकर कठपुतलियों को अपने इशारों पर नचाते हैं धागों से चारों तरफ फिर उनको बाँधते हैं बेजान सी होकर भी सबके मन को लुभाती है…

ये जो दुनिया

ये जो दुनिया छोड़ के चले जाते हैं पहले से कुछ भी न बताते हैं जाने कहाँ और कैसे रहते हैं कुछ भी खबर न…

ए हर वक़्त

ए हर वक़्त व्यस्त रहने वाले दोस्त कुछ वक़्त हमारे लिए भी निकाल फिर न कहना कि तुम क्यों रुसवा हो गए अभी हमने कुछ…

नन्हे कदम

अपने नन्हें कदमों से दिन भर छन छन करती फिरती है कभी इधर तो कभी उधर वो उछलती कूदती रहती है बंधन मुक्त वो पंछी…

भाई

अपनी अनुजा का अंगरक्षक होता है ईश्वर का दिया अनमोल उपहार होता है अपनी जीत को भी न्योछावर करता है हर इच्छा को वो पूरी…

ज़िन्दगी

ये जिंदगी थोडा अपनी रफ़्तार को धीमा तो कर हम जब तक कुछ समझे तू और आगे निकल जाती है।।

मुखौटा

जहाँ भी जाओ वही हर एक शख्स के अलग ही मुखौटा लगा होता है बाहर से कुछ दिखलाई पड़ता है अंदर से कुछ और ही…

कुछ बनना है तो

कुछ बनना है तो फूलों की तरह बनों अपनी महक से दुनिया महका दो कुछ बनना है तो तितली की तरह बनों अपने रंग दूसरों…

पापा

गर देती है जन्म माँ तो जिंदगी संवारते हैं पापा जितना भी हो सकता है सब कुछ कर गुजरते हैं पापा जेब गर खाली भी…

बहुत से ख़्वाब

बहुत से ख़्वाब है आँखों में मेरे सारे नहीं तो कुछ तो हकीक़त में आएँ माना के करनी है बहुत मेहनत हमको भी ज़रा आप…

कामना

हमारे दिल की धड़कन है तू हमारे जिगर का टुकड़ा है तू छुए तू इतनी ऊंचाइयों के कि दुनियां जहाँ में मशहूर हो तू।।

माँ

दुनिया की भीड़ में जब कभी अकेली होती हूँ तो बहुत याद आती है मुझे मेरी माँ खुशियाँ हो या गम हो हर सुख दुःख…

बेटी

आँखों ही आँखों में जाने कब बड़ी हो जाती है बिन कुछ कहे सब कुछ समझ जाती है जो करती थी कल तक चीज़ों के…

जोकर

पहने सर पर नीली टोपी उछलता -कूदता आता है कभी इधर तो कभी उधर नाचता और नचाता है। भर अपने थैले में टॉफी बिस्कुट सबको…

खिलौने वाला

हाथ में लेकर सीटी आता साइकिल पर होकर सवार एक डंडे पर ढेर से खिलौने जिसमे रहते उसके पास गली गली और सड़क सड़क बच्चों…

खिलौने वाला

हाथ में लेकर सीटी आता साइकिल पर होकर सवार एक डंडे पर ढेर से खिलौने जिसमे रहते उसके पास गली- गली और सड़क- सड़क बच्चों…

अश्रु

नयनों से निकले अश्रु भी बड़े अज़ीब है ख़ुशी हो या गम हो हर बात पर निकल पड़ते हैं।।

कवि

कवि ही हैं जो बिखरे हुए शब्दों को, खूबसूरत माला में पिरोकर रख देते हैं।।

आज़ादी

क्यों कैद करते हो पंछियों को आज़ाद कर दो इनको सब आज इनको भी हक़ मिला हुआ है खुले आसमाँ में विचरण का जनाब गुलामी…

किसान

कितनी भी धूप हो, कितनी भी ठण्ड हो काम पर अपने लगे ही रहते दिन हो या रात हो,सुबह हो शाम हो खेत पर हल…

गुब्बारे

देख गुब्बारे वाले को जब बच्चे ने आवाज़ लगाई दिला दो एक गुब्बारा मुझको माँ से अपनी इच्छा जताई। देखो न माँ कितने प्यारे धूप…

दुनिया

कैसी ये दुनिया बनाई प्रभु ने सब वक़्त के साथ जिए जा रहे हैं ऊँगली पकड़ के चलना सीख कर कन्धों के सहारे चले जा…

कामकाजी महिला

सुबह के चार जैसे ही बजते हैं आँखें उसकी खुल जाती हैं इधर से उधर,उधर से इधर साफ़ सफाई से शुरुआत है करती खाना बना…

अक्षर

अक्षर से शब्द बना शब्दों से बने वाक्य वाक्यों से फिर कविताएँ बनी जिनको पढ़ रहे आप।

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