मुक्तक
तुम खुद को किसी की याद में क्यों खोते हो? तुम जिंदगी को अश्कों से क्यों भिगोते हो? आती हुई बहारों को न रोको दर्द…
तुम खुद को किसी की याद में क्यों खोते हो? तुम जिंदगी को अश्कों से क्यों भिगोते हो? आती हुई बहारों को न रोको दर्द…
वो दर्द वो खामोशी का मंजर नहीं बदला! तेरी अदा-ए-हुस्न का खंजर नहीं बदला! शामों-सहर चुभते रहते हैं तीर यादों के, मेरी तन्हाई का वो…
वो दर्द वो खामोशी का मंजर नहीं बदला! तेरी अदा-ए-हुस्न का खंजर नहीं बदला! शामों-सहर चुभते रहते हैं तीर यादों के, मेरी तन्हाई का वो…
कभी-कभी चाहत जंजीर सी लगती है! कभी-कभी सीने में तीर सी लगती है! जब कभी भी होती है यादों की आहट, दर्द की हाथों में…
क्या कर पाया मैं और क्या कर जाऊंगा? तेरे बिना मैं तो यूँ ही मर जाऊंगा! जब कभी तुम देखोगे आईना दिल का, तेरे ख्यालों…
अब चाहतों के हमको नजारे नहीं मिलते! अब ख्वाहिशों के हमको इशारे नहीं मिलते! हर वक्त ढूंढ लेती है तन्हाई दर्द की, अब हौसलों के…
हर शख्स जमाने में बीमार जैसा है! ख्वाहिशों का मंजर लाचार जैसा है! सहमी हुई तकदीरें हैं इंसानों की, आदमी सदियों से बाजार जैसा है!…
कभी चाहत जिंदगी में मर नहीं पाती! कभी दौरे–मुश्किलों से डर नहीं पाती! हर वक्त नाकामी का खौफ़ है लेकिन, कभी आरजू ख्याल से मुकर…
आज फिर हाँथों में जाम लिए बैठा हूँ! तेरे..दर्द का पैगाम लिए बैठा हूँ! वस्ल की निगाहों में ठहरी हैं यादें, तेरा फिर लबों पर…
आज फिर हाँथों में जाम लिए बैठा हूँ! तेरे..दर्द का पैगाम लिए बैठा हूँ! वस्ल की निगाहों में ठहरी हैं यादें, तेरा फिर लबों पर…
बेवफाओं की कोई सूरत क्या होती है? नाखुदाओं की कोई मूरत क्या होती है? जब कौम की जागीरों में बँटा है आदमी, इंसानियत की कोई…
बेवफाओं की कोई सूरत क्या होती है? नाखुदाओं की कोई मूरत क्या होती है? जब कौम की जागीरों में बँटा है आदमी, इंसानियत की कोई…
बेवफाओं की कोई सूरत क्या होती है? नाखुदाओं की कोई मूरत क्या होती है? जब कौम की जागीरों में बँटा है आदमी, इंसानियत की कोई…
बेवफाओं की कोई सूरत क्या होती है? नाखुदाओं की कोई मूरत क्या होती है? जब कौम की जागीरों में बँटा है आदमी, इंसानियत की कोई…
बेवफाओं की कोई सूरत क्या होती है? नाखुदाओं की कोई मूरत क्या होती है? जब कौम की जागीरों में बँटा है आदमी, इंसानियत की कोई…
मौत हासिल होती है इंसान के मरने पर! मिलता है अंधेरा उजालों के गुजरने पर! क्यों खौफ-ए-नाकामी है हर वक्त जेहन में? जब दर्द ही…
टूटते ख्वाबों के अफसाने बहुत से हैं! चाहत की शमा के परवाने बहुत से हैं! एक तू ही नहीं है आशिक पैमानों का, जामे-मयकशी के…
तेरी याद है दिल में दर्दे–तन्हाई सी! ख्वाहिशों की शक्ल में तैरती परछाई सी! चाहत हर पल गूँजती है मेरे सीने में, तेरी तमन्नाओं की…
तेरी याद मुझसे भुलायी न गयी! तेरी याद दिल से मिटायी न गयी! चाहत जल रही है सीने में मगर, आग़ तिश्नगी की बुझायी न…
आओ करीब तुम नूरानी रात हुई है! चाहत की फिर से दीवानी रात हुई है! तोड़कर जमाने की जंजीर-ए-रस्म को, आओ करीब तुम मस्तानी रात…
मैं कैसे कह दूँ तुमसे प्यार नहीं रहा! तेरी गुफ्तगूं का इंतजार नहीं रहा! हर वक्त खिंचती हैं जब तेरी अदाऐं, मैं कैसे कह दूँ…
तुम जो मुस्कुराती हो नजरें बदलकर! नीयत पिघल जाती है मेरी मचलकर! चाहत धधक जाती है जैसे जिगर में, हर बार जुस्तजू की आहों में…
मैं कबतलक तेरा इंतजार करता रहूँ? मैं कबतलक तुम पर ऐतबार करता रहूँ? मुझे खौफ सताता है तेरी बेरुखी का, मैं कबतलक खुद को बेकरार…
मैं कबतलक तेरा इंतजार करता रहूँ? मैं कबतलक तुम पर ऐतबार करता रहूँ? मुझे खौफ सताता है तेरी बेरुखी का, मैं कबतलक खुद को बेकरार…
हम जिंदगी में गम को कबतक सहेंगे? हम राह में काँटों पर कबतक चलेंगे? कदम तमन्नाओं के रुकते नहीं मगर, हम मुश्किले-सफ़र में कबतक रहेंगे?…
मैं जी रहा हूँ तुमको पाने की आस लिए! मैं जी रहा हूँ सीने में तेरी प्यास लिए! यादें बंधी हुई हैं साँसों की डोर…
मैं जागता क्यों रहता हूँ तन्हा रातों में? नींद उड़ जाती है ख्वाहिशे-मुलाकातों में! सीने में नजरबंद हैं वस्ल़ की यादें, बेखुदी में रहता हूँ…
मैं जागता क्यों रहता हूँ तन्हा रातों में? नींद उड़ जाती है ख्वाहिशे-मुलाकातों में! सीने में नजरबंद हैं वस्ल़ की यादें, बेखुदी में रहता हूँ…
टूट गया हूँ मैं गमे-अंजाम देखकर! टूट गया हूँ मैं गमे-नाकाम देखकर! रो रही है चाहत राहे-तन्हाई में, तेरी बेवफाई का पैगाम देखकर! मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
टूट गया हूँ मैं गमे-अंजाम देखकर! टूट गया हूँ मैं गमे-नाकाम देखकर! रो रही है चाहत राहे-तन्हाई में, तेरी बेवफाई का पैगाम देखकर! मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
टूट गया हूँ मैं गमे-अंजाम देखकर! टूट गया हूँ मैं गमे-नाकाम देखकर! रो रही है चाहत राहे-तन्हाई में, तेरी बेवफाई का पैगाम देखकर! मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
तेरी जिन्दगी में हरपल कमी सी है! अश्क की आँखों में हरपल नमी सी है! दौर है कायम अभी तेरी यादों का, दर्द की ख्यालों…
मेरे सितमगर फिर से कोई वादा न करो! मेरे दिल़ को तोड़ने का इरादा न करो! क्यों इम्तिहान लेते हो कई बार सब्र का? चाहत…
जख्म जिन्दा है तेरी याद भी आ जाती है! बेकरार पल में तेरी आरजूू सताती है! मैं तन्हा हो गया हूँ गमें-अंजाम से मगर, ख्वाबों…
तेरी तस्वीर से मेरी नजर हटती ही नहीं! तेरे दीदार की हसरत कभी मिटती ही नहीं! मैं जोड़ता रहता हूँ तेरी यादों के टुकड़े, गम-ए-इंतजार…
तू जबसे गैर की बाँहों में चली गयी है! जिन्दगी जख्मों की आहों में चली गयी है! यादें चुभती हैं जिग़र में शीशे की तरह,…
मेरी जिंदगी को अंजान सा रहने दो! दिल में जुस्तजू का तूफान सा रहने दो! टूटे हुए से ख्वाब हैं पलकों में लेकिन, अश्कों में…
एक तू ही नहीं है जो वक्त से हारा है! हर शख्स दुनिया में हालात का मारा है! हर-पल बदल रही है तस्वीर-ए-जिंदगी, टूटते दिलों…
तुम मेरी जिन्दगी का ऐतबार बन गयी हो! तुम मेरी मंजिलों का इंतजार बन गयी हो! शामों-सहर नज़र आता है रंग यादों का, तुम मेरी…
मैं खुद को यादों में भुलाकर रह गया हूँ! मैं खुद को दर्द से रूलाकर रह गया हूँ! हर कोशिश नाकाम है दीदार की जबसे,…
तेरी चाहत मेरे गुनाह की तरह है! तेरी तिश्नगी दिल में आह की तरह है! खींच लेती है खुशबू तेरे ख्यालों की, तेरी याद बेखुदी…
मेरी हर कोशिश तुम्हें पाने के लिए थी! तेरी जुल्फों के तले आने के लिए थी! लेकिन समझ न पाया मैं तेरी दिल्लगी, तेरी हर…
हमें दर्द जिंदगी में मिलते रहेंगे! हम राहे-मंजिलों पर चलते रहेंगे! डरते नहीं किसी से रंग मौसमों के, फूल तमन्नाओं के खिलते रहेंगे! मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
मुझको तेरी चाहते-नजर चाहिए! दिल में तमन्नाओं की लहर चाहिए! झिलमिलाते ख्वाब हों जुगनू की तरह, मुझको यादों का वही शहर चाहिए! मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
मैं कैसे कहूँ कि तेरा दीवाना नहीं रहा? मैं कैसे कहूँ कि तेरा परवाना नहीं रहा? मुझे खींचती है मधुशाला तेरे नयनों की, मैं कैसे…
बंद होकर भी आँखें कुछ बोल जाती हैं! राह तमन्नाओं की कुछ खोल जाती हैं! रोशनी जल जाती है यादों की शक्ल में, दर्द की…
मेरी शामें-तन्हाई न खाली जाएगी! मेरी जुबां पे फिर से आह डाली जाएगी! सोहबत बुरी है मेरी दिलजलों से साकी, मयखानों से गम की राह…
तुम मेरी जिन्दगी से यादों को ले लो! तुम मेरे दर्द की फरियादों को ले लो! मैं कब तलक सहता रहूँ आहे-तमन्ना? तुम मेरे ख्यालों…
सोचता हूँ आज तुमसे मुलाकात कर लूँ! रात की तन्हाई में तुमसे बात कर लूँ! तेज कर लो तुम फिर से तीर-ए-नज़र को, जख्मों को…
मेरी जिंदगी गमों से डर पाएगी क्या? दिल में ख्वाहिश गैऱ की कर पाएगी क्या? सब्र अभी जिन्दा है जख्मों को सहने का, वस्ल से…
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