मुक्तक

जिस्म है मेरा मगर जिन्दगी तुम्हारी है! तेरे बगैर तन्हा हर खुशी हमारी है! सुलग रही है साँसों में आग चाहतों की, शामे-मयकशी भी मेरी…

मुक्तक

तेरे बगैर तन्हा क्या रखा है जीने में? अश्कों की लहर को रफ्ता रफ्ता पीने में! खोया हुआ रहता हूँ यादों में महादेव, गुजर रही…

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