नफ़्ज़

पकड़ी जब नफ़्ज़ मेरी., हकीम लुकमान यू बोला…! वो ज़िंदा है तुझ में..’ तू मर चूका है जिस में..!?✍?

नजर-अंदाज

उदासी जब तुम ?? ‍♀️पर बीतेगी ? तो तुम भी ?जान जाओगे, कोई ? नजर-अंदाज ? करता है तो ? कितना दर्द ? होता है..

कवि

कवि होना भी खुदा की रहमत का ही नमूना है वरना युं अपने दर्द को शब्दों में बयां कर पाना हर किसी के बस की…

उदास

पानी से भरी आखें लेकर मुझे घूरती ही रही शीशे के उस पार खड़ी लड़की उदास बहुत थी।

रंग

मकड़ी जैसे मत उलझो तुम गम के ताने बाने में, तितली जैसे रंग बिखेरो हँस कर इस ज़माने में..

दिल

कितना खुश है वो मुझे भुलाकर ए खुदा मुझे भी उसके जैसा दिल दे दे….।

परवाह

दौलत नहीं शोहरत नहीं न वाह वाह चाहिए कैसे हो कहां हो बस दो लफ्जों की परवाह चाहिए।।

? ? यूं ही ? ?

यूं ही तुम ना आते सीने में ना चोरी मेरा दिल हो पाता ना कृष्ण मीठी रासलीला रचता ना इश्क का नाम यूं ही कोई…

तुम कब आओगी

शाम हो गई तुम्हे खोजते माँ तुम कब आओगी जब आओगी घर तुम खाना तब ही तो मुझे खिलाओगी, रात भर न सो पाई करती…

बेवजह

कम्बख्त वो हमारे सामने बेवजह ही मुस्कुरा गऐ बेवजह ही हम उनकी बाहोँ में आ गऐ खबर न थी जमाने को इस नए चमन से…

तलबगार है कई

तलबगार है कई पर मतलब से मिलते हैं ये वो फूल हैं जो सिर्फ मतलबी मौसम में खिलते हैं रोक लगाती है दुनिया तमाम इन…

काश!

काश भ्रष्टाचार न होता ,फिर भलों का दिल न रोता कानून ढंग से काम करता, काश भ्रष्टाचार न होता। लोकतंत्र भ्रष्ट न होता, रिश्वत का…

कवि

जो और कोई कह ना पाए कर ना पाए और कोई ऐसा जज्बा लिए संग में चलता है अकेला कोई। उसके पास अनूठी क्षमता और…

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