नाराज़गी

मेरी ग़ज़ल सग्रंह की बुक “नाराज़गी” बहुत जल्द आपके सामने होगी ।ये सब आपकी दुआओं का असर है । बेहद शुक्रिया । आपका लकी निमेष

Ghazal

उत्कर्ष मेल में पहली बार मेरी ग़ज़ल बहुत बहुत शुक्रिया संपादक महोदय जी का । आपका सहयोग यूँ ही बना रहे ।

Dard Purana

लिकं पर मेरी ग़ज़ल सुने डॉ सुजीत जी की आवाज़ में और चैनल सब्सक्राइब जरूर करे । दोस्तो में लिकं शेयर करना ना भूले ।…

नया साल

ये नये साल का मौसम भी खुशगवार नही ऐसा लगता है मुझे अब किसी से प्यार नही कई सालो से मुझे ग़म बहुत सताते है…

दीवाली

इस दीपक में एक कमी है,,,, हर सैनिक की याद जली है ।।।।।।। जिसने दी आज़ादी हमको,,,,,,,,, उनकी बेहद कमी खली है ।।।।। दुश्मन को…

ज़िन्दगी

इस तरह उलझी रही है जिन्दगी,,,,,, कोन कहता है सही है जिन्दगी।।।।। उलझनो का हाल मै किससे कहु,,, आँख के रस्ते बही है जिन्दगी।।।। अब…

साजन

तुझको ही बस तुझको सोचू इतना तो कर सकती हूँ,,,,,,,,, तेरे ग़म को अपना समझू इतना तो कर सकती हूँ ।।।।।।।।।। मुझको क्या मालूम मुहब्बत…

￰वतन

वतन पे है नजर जिसकी बुरी उसको मिटा देगें,,, सबक ऐसा सिखा देगें कि धड से सर उडा देगें।। जहाँ पानी बहाना है वहां पर…

वो औरत

करे हैं काम वो इस धूप में जलती सी इक औरत,,, गमों को झेल लेती है सभी, गहरी सी इक औरत।।। बडों का मान रखती…

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