इश्क- विश्क से दुर रहो!!
मन को समझाया था मैने..इस इश्क विश्क से दूर रहो पर ये मन,मन ही मन मै अपनी मन मानी कर बैठा____!!!!
मन को समझाया था मैने..इस इश्क विश्क से दूर रहो पर ये मन,मन ही मन मै अपनी मन मानी कर बैठा____!!!!
मन को समझाया था मैने..इस इश्क विश्क से दूर रहो पर ये मन,मन ही मन मै अपनी मन मानी कर बैठा____!!!!
वफ़ा करनी भी सीखो इश्क़ की नगरी में ए दोस्त, फ़क़त यूँ दिल लगाने से दिलों में घर नहीं बनते !!
वो मुझे छोड़कर दुसरे के बाहों मे चैन की नींद सो रही है, और मै सिसक रहा हूँ उनकी तस्वीर को बाहों में लेकर!!
मेरे होकर भी मेरे खिलाफ चलते है, मेरे फैसले देख तब पर भी साथ चलते है।। ज्योति
मेरे होकर भी मेरे खिलाफ चलते है, मेरे फैसले देख तब पर भी साथ चलते है।। ज्योति
मेरे होकर भी मेरे खिलाफ चलते है, मेरे फैसले देख तब पर भी साथ चलते है।। ज्योति
ना कहकशो का दौर है,ना वो हमसे गुप्तगुह करते है, संगदिल उस सनम से हम बेपनाह महोब्बत करते है। ज्योति
मेरे आँखो मे गुमाण उनका था , वसा ना पाया मेरे आँखो ने किसी दुसरे को दिल मे क्योकि मकान उनका था ! तमाम दर्द…
Life is not bona fide. It is house of rent as if it is mine or elase it is the wroth. The price of mud,…
पैसे की चाहत ने अपनो से दुर किया, माँ ,पिता, दोस्त ,भाई जैसे पवित्र रिस्ते को छोड़ दिया , पैसे की चाहत ने अपनो से…
तुमसे मिलने की तमन्ना अब भी लगा बैठा हूँ,, सुबह से शाम तुम्हारी गलीयो मे चक्कर लगा –लगा कर दिल को समझा रहा हूँ, तुमसे…
काश मेरी जिन्दगी मे तु होती ना सुबह का इंतजार करती ना शाम का शिर्फ तेरे नीले आँख ो का इंतजार करती। जेपी
जहजे दिल को सभाँरने का काम कर रहा, जेपी अपनो का कीमत अपनो से दे रहा। जेपी सिह
क्यो कुचलते हो परतीभा के परतीभाओ को, चंद पैसो के लिए तुम्हारे घर खुशी जाती पैसो की,, यहाँ परतीभा वाले बच्चे की लाशे मिलते नदी…
आ जाओ सावन की ये वर्षात तुझे बुला रही है तेरे बीना ये सावन की बुँद मुझे जला रही है। Jp singh
मुझे नही पता की फुल के तरह खिलुगाँ, भवरे आयेगे नोच– नोच-खायेगे, मेरी कोमल तन को पत्थर की चोट से घायाल करके मेरे बदन को…
अगर मै कुड़ा-कागज होता , तो मेरा कोई ना सुबह होता ना शाम होता, ना घर होता ना परिवार होता, शिर्फ मेरे साथ रास्ते का…
मानव तेरा हजार रूप देखे,, कभी रावण बनते कभी कंश बनते देखे, कभी राम बनते देखे कभी Krishna बनते देखे,, लेकिन जब -जब देखे सच्चाई…
दिल मे कुछ अरमान सजाये बैठे है, आँखो मे कुछ ख्वाब रखे बैठे है,, तेरी डोली को देखने की इंतजार मे मेरे दिल और आँख…
जे पी सिह
दिल मे तुझे बैठा रखा था, ख्वाबो मे तुझे सजा कर बैठा था,, दिन मे भी चाँद तारे चमकेगें इसी तरह गलत-फहमी मे तुमसे प्यार…
हाथ जोड़कर जब मैने सारी गलती माँग ली जमाने के समाने, फिर क्यो जलिल करते हो सारे के सामने,, हाथ जोड़कर सारी सारी गलती माँग…
इस तरह का दिम्मक पाल रखा था,, मेरे दिल ने,! खोखला कर डाला पर दवा डाल नही पाया मेरे दिल ने। इस तरह का दिम्मक…
दिल टुटने के बाद ;;चैन भी रूठ गयी, रात भर करवट बदला-बदला पुरे शरीर मे दर्द -गर्ग कर गयी , चैन रूठी गयी जब दिल…
,—सारे की इशारे को भुल गये, लेकिन तेरी नशीली आँखो को देखकर झुम गये! JP Singh
एक शहर मे तीन मित्र रहते थे,तीनो मे बहुत गहरा मित्रता थी, एक का नाम गौरव जो शांत-सोभाव के थे उनको गीत गाना गुनगुना कविता…
ज्योति
ज्योति
तुझे देखने की आश लगा बैठा हूँ, तुझे पाने की आरजु दिल मे सजा बैठा हूँ,, कौन से दिन आयेगें मिलन की पंडितो से दिखाकर…
मेरी उजड़ी हुई घर को बसायेगा कौन, माँ ! जब तु ही नही रही बहु लयेगा कौन। ज्योति
चल जिन्नदगी के पन्ने मे तेरा नाम लिखता हूँ, तुम्हारे साथ जीने मरने का वादा अदालत मे गीता मर हाथ रख कर कहता हूँ।। ज्योति
मेरे उजड़ी हुई फुलवाड़ी ,(बाग) देखकर मत हँसना यारो,, बागीयो ही ने उजाड़ा है यारो।
नजर प्यासा -प्यासा सा है, तुमहे देखने के लिए,, सुना है तुम्हारी मेहदी रचाने वाली है किसी दुसरे नाम की।। ज्योति
सपनो तो बहुत देखे थे ,, तुम्हारे हाथ मे हाथ डालकर, तु ही तो खुदगर्ज निकली किसी के हाथ पाने के बाद।।
काश अगर मै जानवर से दिल लगाया होता, मेरे साथ भले वो वादे जीने और मरने की नही करती,, लेकिन दुम हिलाया होता।।
तेरी नसीली आँखो मे बसती है मेरी दुनिया! तु आँखो से आँसु मत बहा।
इस ख्ववाइशो की समंदर ने चखना-चुर किया है, अपने मीठी धारा मे फसाकर लहुँ-लुहाँन किया है। ज्योति
जिस दिन से तुम्हारी नसीली आँख देख लिया ;मैने! लड़खराये –डगमगाये चलता हूँ।। चाहे चाय खाना से निकलु,, या तुम्हारे गली से निकलु। डगमगाये फिरता…
चलो महोब्बत की बजार चलता हूँ,, अपने दिल की दर्द को साथ ले चलता हूँ, देखता हूँ इस बजार मे कोई मेरे जैसा तन्नहा है,,…
कभी दोस्त पर सवाल मत करना यारो, दोस्त मार भी लेगा, डाँट भी लेगा लेकिन तेरी भुखी आँख को पहचान लेगा यारो।।
मेरी गाँव मुझे बुला लो, मुझे अकेलपान अच्छा नही लगता मुझे बोला लो।। बुढ़े को खिजलाना खटीया इधर उधर करना,, ये मुझे याद आती मेरी…
मै आज भी वही हूँ, जैसा तुमको पसंद है। लेकिन हम वैसा भी नही, जैसा तुम्हारे पिता का पंसद है। तुम मेरी पहली प्यार थी,…
बहुत कुछ सपना सजाया था !मैनै, लेकिन जिसके लिए सजाया, वो पराये का मेहदी हाथो मे सजाये थे।।
जुवाएँ पर बदजुबानी पर बात लिये फिरते,, जो खुद गिरा — वो मुझे क्या गिराने की बात करते।।
अगर हुई गलती मुझे माँफ करो, हर गलती मेरी शर्मनाक है, या तुम मार गिरावो या माँफ करो। गलती किया इसलिए माँफी माँग रहा, अगर…
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