खुश

ना किसी के इनतेज़ार मे ना किसी के इंतज़ार की पुकार में ना समुद्र के किनार पे ना जी में , ना हार में ना…

नया साल

वही सूरज वही चाँद हैं वही आकाश हैं , फिर क्या ही नया साल हैं जो दिन चाहू नया बना लू मेरे लिए वही अछूत…

“हकीकत”

ना जाने लोग अपनी “मंज़िल” को सपना क्यों कहते हैं? मंज़िल तक जाना , उसे पाना सपना नहीं “हकीकत” बनाना चाहती हूँ !

एहसास

यह दिल एहसास से भरा हैं नफरतों और प्यार का घड़ा हैं कभी किसी से खुश हैं तो किसी से सड़ा हैं

मैं

मुझे कहना हैं अभी वो शब्द जिसे कह कर मैं नि: शब्द हो जाऊ मुझे देना हैं अभी वो शब्द जिसे देकर मैं नि: शेष…

गिरना

आसमान से धरती पर उस पानी का गिरना आशाएँ , उम्मीदें जगाकर उस टूटते तारे का गिरना लहराकर उचाई से उस झरने का गिरना न…

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