Sabera

मान लिया था हमने हर सबेरा है अपना, फिर कुछ यूँ हुआ के कभी रात हि ना गुजरी… —विद्या भारती —

Pyasa

आँसुओ के हर घुँट को पीने की आदत है हमे,, और तुझे लगा हम तेरे मुहब्बत के प्यासे हैं!!

Muskurahat

सींच लेती हुं कभी इन आँखो के पानी से .. मुरझा जाती है जब मेरे दर्द की मुस्कुराहट ….

Aye asman

मत रो ऐ आसमान यूँ बिखर के ऐसे , थम जा जरा ! गम का बस एक किस्सा सुनाया था , अभी तो पुरी कीताब…

khwahishen

सेहम जाती है आँखे अधुरे ख्वाहिशों के बारिश में भीग कर, एहसासों के बदलते भंवर में अक्सर डुब जाती हुं मैं ….

khwahishen

सेहम जाती है आँखे अधुरे ख्वाहिशों के बारिश में भीग कर, एहसासों के बदलते भंवर में अक्सर डुब जाती हुं मैं ….

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