शोक

तुम ज़िंदगी से जीते नहीं,मगर लड़े तो थे. यह बात कम नहीं कि तुम जिद पर अड़े तो थे. गम तो हमेशा रहेगा कि बचा…

दरिंदगी

कितने दरिंदगी के हाँथ है इस दुनिया में, कि अब इंसानियत का चेहरा शर्म से लाल है। और उस बच्ची का जिस्म खून से बदहाल…

डर

डर अब अँधेरी रातों से नहीं लगता, क्योंकि रातें अपने आगोश में सुला लेती है। डर तो रौशनी की किरणों से लगता है, क्योंकि रौशनी…

बचपन

बारिश के मौसम में कागज़ की कश्ती डूबने का इंतज़ार ही करती रह गयी। और ये बच्चे उड़ने के सपने लिए उस कागज़ को पढ़ते…

गुस्ताखियाँ

यूं तो अरमानों के इरादे भी परेशान हैं, पानी की बूँदें भी आँखों की बारिश से हैरान हैं| पर जनाब हमारी गुस्ताखियों की भी हद…

जीतना

मुझको मुझसे जीत कर, खुशियाँ मना रहे थे वो| शायद हारकर जीतने और जीत कर हारने के , उस एहसास से वाकिफ़ न थे वो|

नादान

हर एक तनहा लम्हे में एक अर्थ ढूँढा करती थी| हर अँधेरी रुसवाई में गहरा अक्श ढूँढा करती थी | मैं मेरी परछाई में एक…

तन्हाई

न जाने क्यों एक तन्हाई सी छा रही है, ज़िन्दगी एक कहानी सी बनती जा रही है। न जाने क्यों ये दिल खुद को अकेला…

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