दिल
देख कर खामोश है, शहर मेरा. इतनी भी क्यां गिला तेरा. जब छोड़ कर आये मंजिल तेरी. सब चाह रहे दिल जवां मेरा. बड़े नाजुकाना…
देख कर खामोश है, शहर मेरा. इतनी भी क्यां गिला तेरा. जब छोड़ कर आये मंजिल तेरी. सब चाह रहे दिल जवां मेरा. बड़े नाजुकाना…
मैंने सारे जवाब जो तुझे ख़त किये है. दिल के फरमान काग़ज़ी किये है. बहोत उदास तेरी चाहतो का शोहबर इन दिनो. हमनें अपनी फरमाईश…
मुखौटे सजाये फिर रहे हो आजकल. दिल में जख्म़ लिये जिये जा रहे हो. हर किसी ने ओढ़ रक्खा मतलबी नकाब. एक दुशरे को दर्द…
कुछ लिखूंगा तो तुम बुरा मानगो. हमारी मोहब्बत पर रार ठानगो. अब यही रहा अंजाम -ए- इश्क मेरा. मेरी जज्बातो को जब्त कर हुश्न का…
कुछ बेरुखी रही आज कल घर मेरे. ना दिल रहा अकतियार मेरे. डबाडबाई आँखो से उतर आई अश्क कपोलो पर. कितनी बेरुखी रही मोहब्बत हमारे…
बहुत मायूश रही मेरी मेहरबा मुझसे. ना कोई चाहत की रखी कोई सिल्सिला हमसे. कोई बताये कोई खबर मेरी चाहत की चांद की. अब तक…
बड़े मौजू हो चूकी ख्वाहिश की पेशकश मेरी. इरादे नफीश की खमबखम मेरी. जरा सून क्यो इल्तिजा का मायूस आरजू. मैं तेरी नहीं मोहब्बत की…
अब ना गाऊंगा गित तेरे यादो की. अब ना चाहुंगा प्रित तेरे सांसो की. कुछ थमा तुम्हारे हमारे बिच यादो का गुलिस्ता. जो हमसफर रुठ चुका हमारे घर से. जो चूक चुका महफिल की रंजोगम से. फिर गित ना गा पाऊंगा. महबूब तुझे गुनगुना ना पाऊंगा. अवधेश कुमार राय “अवध”
बहुत सुकून हो मोहब्बत तुमको एतराज हो हमसे. इस फिजा की तफतिश में एक बार हो हम से . कोई रेहबर हुआ था मेरा जिसे हमसे इल्तिजा थी इतनी. मोहब्बत में अश्को से रुठा जाना हुआ हैं . दोहमत लगती मोहब्बत छोड़ आये. हम तो जींदगी का सुकून छोड़ आये. अवधेश कुमार राय “अवध”
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