नौकरी

गुलामी का अर्थ तो तब समझ आया, जब नौकरी की कुछ दिन एक प्राइवेट कंपनी में | कहते है उसे ‘नौकरी’ क्यों, यह तो जानता…

गणतंत्र

राजा-शासन गया दूर कही, गणतंत्र का यह देश है | चलता यहाँ सामंतवाद नहीं, प्रजातंत्र का यह देश है | दिया गया है प्रारब्ध देश…

चाय

उषा की रश्मि जब घोलती है चाय में चुस्ती, शुरू करते है दिन हम अपना | लेकिन शाम आते-आते आन पड़ती है फिर एक चाय…

अन्धकार

रात का अन्धकार हूँ मैं मुझमे रौशनी भरने के आश में खुद जल कर मिट जाओगी, लेकिन यह अँधेरा कभी सूर्य का तेज नहीं देगा…

खालीपन

शब्द छलकते रहते है अनवरत आँखों से | और मैं उन्हें श्याही बना कर भरता रहता हूँ कोरे कागजो का खालीपन | -Bhargav Patel (अनवरत)

बाती

मत डाला करो अब और तेल! यह बाती तो कब की जल कर मिट चुकी है, उस ज्योत के क्षणभर के उजाले के लिए |…

महक

विक्स के इन्हेलर से ली हुई एक लंबी श्वास, ज्यों श्वासनली के बंध दरवाजे खोल देती है! तुम्हारे पुराने कपड़ो में से आती महक, दिल…

सत्य

सत्य! यों देखो तो सत्य यहाँ कुछ भी नहीं; सब छलावा है, मिथ्या है | जिस साये को मान साथी हम चलते है यहाँ, साथ…

ईश्वर

झाँक रहा था मैं एक रोज ईश्वर की खिड़की के भीतर, किन्तु दंग रह गया निज प्रतिबिम्ब देख उस खिड़की में! अनायास ही कोई अनहद…

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