बैडमिंजाज़ी

रिश्तों मे जब तक बदमिंजाज़ी हो झगड़े हो उम्मीद अभी भी बाकी है और अगर सन्नाटे सा छा जाए तोह मौत हो चुकी है कब…

उस तक बात

उस तक बात नहीं पहुँचती आजकल ब्लॉक है सब जगह बात हुए अरसा हो गया कभी कभी देखता हु सपनो मे वही मेरा औकात है…

सतत संग्राम

सोचता था तूने मुझे छोड़ दिया पर पीछे मुड़ा तो साया तेरा ही था हम टूटे थे उस वक्त जरूर पर खुद्दारी से लड़कर सफल…

जाती

जीने के लिए लड़ना पड़ता है साहब भूख से रोटी पाने से अपने नीची जाती का होने से अपना तोह जन्म से ही तुम्हे जात…

बारिश

बारिश की यह बूंदे बस गिरे जा रही हैं दिल के आग को सीए जा रही हैं रो हम रहे हैं यहां पढ़ सभी अनजान…

जिंदगी

सर्द इस मौसम मे बस जिए जा रहे हैं दामन मे बस सफा है इसी का घुमान किया तो तुम घमंड समझ लिए तू पाक…

बारिश

बारिश के बूंदों से याद आती हैं वोह सौंधी सी खुश्बू जो मन को भाती थी वोह गली वोह नुक्कड़ जिनमे ख्वाब देखा था जेब…

Mera bharat

जो हल जोते, फसल उगाए उसे उसकी कीमत नहीं मिलती। जो मजदुर उत्पाद बनाए उसे उसकी कीमत नहीं मिलती। भूख और लाचारी का ऐसा आलम…

वहम

सोचता था हक़ से मांग सकता हू तुझसे कुछ भी देखा तोह वोह हक़ तूने कब किसी और को दे दिया जिस नाम को तबीर…

इबादत

इबादत है तू मेरे सांसों में समाई खो ना जाना रूठ ना जाना सह ना पाऊँगा ज़िन्दगी में जिस चीज़ को चाहा है वो दूर…

राम राज्य

अजीब है यह दुनिया जिनोंहने बात बैर की की, लोगों को बाटने की की बात वह राम राज्य की करते है जिनके बिरियानी खा कर…

Jannat

जन्नत क्या है तोज़क क्या है क्या पता रब्बा तेरे साथ ने दोनों से ही वाकिफ किया किस्मत का क्या खेल है मिलना था हमने…

वहम

तुम और हम एक ना हो पाए इसका कोई मलाल नहीं चलो एक तजुर्बा तोह हुआ जिंदगी साथ नहीं ना सही यादों का पिटारा तोह…

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी के कुछ पल बदलना चाहता हू काश रोक लिया होता तुम्हे तोह हालत कुछ और होते मुहब्बत तुम्हारे सपनो के आगे बहुत छोटी थी…

कोरोना

इस बार की दुर्गा पूजा फीकी सी होंगी ना भव्य पंडाल होंगे ना भीड़ ना खाने के स्टाल्स होंगे ना पुलिस की बार्रिकडिंग इस बार…

दोस्त

यह शहर अनजान सा लगने लगा है तू नहीं तोह बेगाना सा लगने लगा है वह चाय की टपरी वह गालिया आज भी भरे है…

ख्वाब

ख़्वाबों का क्या है आ ही जाते हो तुम बेशक़ रातों को जगा जाते हो तुम वह प्यार ही क्या जिसमे तड़प ना हो वह…

बचपन

ढूंढता हु आज भी सुकून के कुछ पल बचपन की यादों को टटोल के देखा तोह जी चूका हु वह पल मानता हु पैसे नहीं…

ए वतन

ए वतन ए वतन तेरी सरफ़रोशी मे खो जाए मेरा तन बदन ए वतन ए वतन तेरी परस्तिश मे जी जाऊ मै सारा जीवन वैसे…

इल्म

इल्म भी नहीं हुआ तेरे जाने का आज भी कही बसती हो मेरे दिल मे इन बारिस की शामों मे अक्सर याद आती हो हा…

लोग

तुम जो पूछते हो और सब ठीक ठाक अपनी तकलीफे गिनाऊ तोह क्या सच मे सुनोगे नहीं ना, तोह क्यों पूछते हो

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