“दहेजप्रथा मुक्त समाज”

बेटी है यह कोई सामान नहीं,
यह अनमोल खजाना है,
जिसका कोई दाम नहीं,

बड़े लाड़ प्यार से पाला था जिसको,
हर बुरी नजर से बचा कर संभाला था जिसको,
आज उस जिगर के टुकड़े को खुद से जुदा करते हैं,
पहले बेटी का सौदा करते हैं,फिर बेटी को विदा करते हैं,

बचपन से उसकी हर एक जिद को पूरा किया,
सारी खुशियाँ अरमानों को उसके तवज्जों दिया,
अब उसे करके पराया घर से अलविदा करते हैं,
पहले बेटी का सौदा करते हैं,फिर बेटी को विदा करते हैं,

रक्खा था अभी तक उसको अच्छे से सहेज,
आखिर अब बेच दिया उसको देकर दहेज,
क्यूँ चंद पैसों से उसका सौदा सरेआम करते हैं,
पहले बेटी का सौदा करते हैं,फिर बेटी को विदा करते हैं,

चंद पैसों के खातिर जला देते है बेटी के अरमान,
न बेंचो खरीदों बेटी को यह नहीं हैं कोई सामान,
बन्द करों दहेज लेना और देना,
न लगाओं अब इसका कोई भी दाम,
इस दहेजप्रथा को जड़ से मिटाने की अब सभी सपथ करते हैं,
पहले बेटी का सौदा करते हैं,फिर बेटी को विदा करते हैं,

अब दहेज प्रथा हटाकर,दहेज मुक्त समाज बनाना हैं,
इस कुरीति को मिटाकर बेटियों को बचाना हैं,

-शिवांकित तिवारी “शिवा”
युवा कवि,लेखक एवं प्रेरक
सतना (म.प्र.)

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

अपहरण

” अपहरण “हाथों में तख्ती, गाड़ी पर लाउडस्पीकर, हट्टे -कट्टे, मोटे -पतले, नर- नारी, नौजवानों- बूढ़े लोगों  की भीड़, कुछ पैदल और कुछ दो पहिया वाहन…

Responses

+

New Report

Close