Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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राम, राम, राम तु रटते जा
राम, राम, राम तु रटते जा मन से मन की विकार तु हटाये जा राम से ही जन्मों का पाप धुलता राम से ही राम…
बना दो बिगड़ी सबकी मेरे सरकार
बना दो बिगड़ी सबकी मेरे सरकार सब सर नवाते हैं, तेरे दर पर मेरे राम कोई तुझसे क्या माँगे, तुम किसी को क्या देते हो…
दिल में सिर्फ राम है
राम हैं दयाल जग मैं, राम ही कृपाल हैं राम ही कवच हैं मेरे, राम मेरी ढाल हैं.. जिसका एक बाण सागरों को भी सुखा…
राम की सृष्टि, राम की माया
जय श्री राम ———————— राम की सृष्टि, राम की माया राम का है ये जग सारा जिसने जाना मेरा यहाँ कुछ नहीं वहीं है प्रभु…
ये दुनिया राम की है
जय श्री राम ।। ————————— घट-घट में राम बसे तन-तन में राम बसे कोई ढूँढे तो उसे सर्वत्र राम ही राम दिखे ————————————– असत् की…
Bhut khub
Thanks