Categories: शेर-ओ-शायरी
पंकजोम " प्रेम "
तराश लेता हूँ सामने वाले की फितरत ......
बस एक ही नज़र में .....
जब कलम लिख देती है , हाल - ए - दिल ....
तो कोई फ़र्क नहीं रहता .....
जिंदगी और इस सुख़न - वर में....
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बेहतरीन प्रेम जी
बहुत खूब
शुक्रिया पन्ना जी , शुक्रिया मिथिलेश दादा
Waah
Good
बहुत ही सुंदर पंक्तियां