THOSE EYES! TO DIE WITHOUT…..
जब मेरी तेरी बात हो, लब्ज़ों को आराम हो
बस आँखों ही आँखों में,अपनी दुआ सलाम हो
कभी दूर से देख के मुझको, मन ही मन मुस्काती है,
और बुलाती पास मुझे, पलकों के परदे सरकाती है
जैसे हर निमिष के संग, ढली सुबह से शाम हो
हर अच्छे-बुरे की समझ इन्हे, एक चुटकी में परख लेती है
करीब से छू के अंतर्मन को, हर भाव का रस चख लेती है
कोई जो इनको पीना चाहे, उसका तो काम तमाम हो
जब भी मनआँगन में गूंजी, बिजली सी बन कर बातें
तीर चलाती है अश्को के, तेरे नैनो की बरसाते
हर बूँद में कोई भूली बिसरी यादो का पैगाम हो ,
कहती रही इशारो में, न लायी राज जुबान पर
कैसे भला करे भरोसा, ऐसी आँखों के बयान पर
हर गुस्ताखी माफ़ इन्हे, चाहे कितने इल्जाम हो
चुपचाप संजो कर सपनो को, तड़के नींद से जगती है
उमंगो का जाल बिछा कर, बड़े प्यार से ठगती है
लेकिन इनकी सच्चाई के आगे छोटा हर दाम हो
शर्माती है तारीफें सुन के, कभी चढ़ता इनका पारा है
कभी देखती है रौनके,कभी खुद ही एक नज़ारा है
है मंजूर कैद अब इनकी,चाहे चर्चा सरेआम हो
Waah
Awesome