इलज़ाम

उसने बेबुनियाद इल्जामों की मुझपर फहरिस्त लगा दी, जीवन कटघरे को मानों जैसे हथकड़ी लगा दी, छटपटाते रहे मेरे जवाब किसी मछली से तड़पकर, और…

बखूबी

बहुत ही बखूबी से तुमने मुझे नज़रन्दाज़ किया, जानते हुए भी मुझको क्यूँ अनजान किया, जब खामोश मोहब्बत ही हमारी जुबान थी, तो क्यों रिश्तों…

माँ

ममता के आइने मे प्यारी सी सूरत है माँ, सूरज की धूप मे छाया का आँचल है माँ, दुखों के समन्दर में सुख का किनारा…

पापा

माँ के लिया बहुत सुना पढ़ा लिखा है सभी ने। कुछ पंक्तियाँ पापा के नाम। छुटपन से हर रोज पापा मेरे मुझे टहलाने ले जाते…

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