Manish Upadhyay
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Mithilesh Rai - "कोई रोके लाख मगर सवेरा नहीं रुकता! सामने उजालों के अंधेरा नहीं रुकता! हम रोक लेंगे हिम्मत से तूफाने-सितम को, जुल्मों के खौफ से कभी बसेरा नहीं रुकता! मुक्तककार -#मिथिलेश_राय"View
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शकुन सक्सेना - "बिना मिले वो मुझेको इतने रंग लगा लेती है, जब भी ख़्वाबों में अपने वो मुझको बुला लेती है, यूँ तो पीने की कभी कोशिश ही नहीं की मैंने, वो आखों से ही मुझे जो इतनी पिला लेती है।। राही (अंजाना) हैप्पी होली"View
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Priya Bharadwaj - "मैं बहुत ही सिंपल हूं और सिंपल सा ही लिखती हूं, उम्मीद है आपको पसंद आयेंगी मेरी कवितायें 🙂"View
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Anirudh sethi - "दिलो के गम छुपाये नहीं छुपते कभी अश्कों में, कभी लफ़्जों में निकल आते है वक्त बे वक्त और छोड़ जाते है निशानी खारी खारी सी, काली नीली सी"View
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