HOLI SPECIAL BY NAVIN GOUD

तुम संग खेली मैंने सात रंग की होली .
तुम रंगो में नहाई . कि मुझसे भी अठखेली ।
वो लाल रंग सिंदुर का .लगा सिर इतराई .
वो रंग गुलाबी होंठ का . ले तुम मंद मंद मुस्काई।
वो अमृत-सा पानी जो कर रहा मनमानी.
युं भिगोकर चोली अपनी पास मेरे फिर आई।
तुम रंगो में नहाई . कि मुझसे भी अठखेली ।
तुम संग खेली मैंने सात रंग की होली .
तुम रंगो में नहाई . कि मुझसे भी अठखेली ।
कवि नवीन गौड  9921803580

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