मुक्तक
मैं जब कभी तेरी तस्वीर देख लेता हूँ।
मैं अपने ख़्यालों की तक़दीर देख लेता हूँ।
ख़्वाबों के समन्दर में उठती है चिंगारी-
मैं तेरी अदाओं का तीर देख लेता हूँ।
मुक्तककार- #मिथिलेश_राय
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2 Comments
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देवेश साखरे 'देव' - January 21, 2019, 6:47 pm
बहुत खूब
ashmita - January 22, 2019, 3:42 pm
nice