मुक्तक

मेरी तन्हाई में जब भी गुजर होती है! मेरे ख्यालों में ख्वाबों की सहर होती है! दर्द की कड़ियों से जुड़ जाती है जिन्दगी, यादों…

मुक्तक

मेरे गम को मेरा ठिकाना मिल जाता है! तेरे ख्यालों का आशियाना मिल जाता है! जब दिल को सताती है प्यास तमन्नाओं की, मेरी तिश्नगी…

मुक्तक

हवा सर्दियों की पैगामे-गम ले आती है! वक्ते-तन्हाई में तेरा सितम ले आती है! तूफान नजर आता है अश्कों में यादों का, तेरी चाहत को…

मुक्तक

हवा सर्दियों की पैगामे-गम ले आती है! वक्ते-तन्हाई में तेरा सितम ले आती है! तूफान नजर आता है अश्कों में यादों का, तेरी चाहत को…

मुक्तक

कबतक देखता रहूँ तुमको देखकर? कबतक सोचता रहूँ तुमको सोचकर? हर साँस गुजरती है मेरे जिस्म की, मेरे लबों की राह से दर्द बनकर! मुक्तककार-…

स्पर्श

जीवन की पथरीली राहों पर, जब चलते-चलते थक जाऊँ, पग भटके और घबराऊँ मैं, तब करुणामयी माँ के आँचल सा स्पर्श देना, ऐ ईश मेरे…

मुक्तक

कभी तो किसी शाम को घर चले आओ! कभी तो दर्द से बेखबर चले आओ! रात गुजरती है मयखाने में तेरी, राहे-बेखुदी से मुड़कर चले…

मुक्तक

मेरा हरेक आलम ख्वाब तेरा लगता है! तेरा ख्याल सर्दियों में धूप सा जलता है! जब भी सताती हैं सरगोशियाँ इरादों की, नींद के आगोश…

ग़ज़ल

ग़ज़ल उनके चेहरे से जो मुस्कान चली जाती है, मेरी दौलत मेरी पहचान चली जाती है। जिंदगी रोज गुजरती है यहाँ बे मक़सद, कितने लम्हों…

मुक्तक

होते ही सुबह तेरी तस्वीर से मिलता हूँ! तेरी तमन्नाओं की जागीर से मिलता हूँ! नजरों को घेर लेता है यादों का समन्दर, चाहत की…

मुक्तक

तेरी याद में तन्हा होकर रह जाता हूँ! तेरी याद में तन्हा रोकर रह जाता हूँ! जब भी तीर चुभते हैं तेरी रुसवाई के, जाम…

आदत

तुम्हारी मुस्कान जब बनी मेरी आदत.. तुम बने मेरी क़यामत तक की इबादत.. यादों की लहरें जब बनीं मेरा सहारा.. डूबती रही जान, दूर हुआ…

मुक्तक

तेरी याद में तन्हा होकर रह जाता हूँ! तेरी याद में तन्हा रोकर रह जाता हूँ! जब भी तीर चुभते हैं तेरी रुसवाई के, जाम…

मुक्तक

यादों की राह में सवाल आ जाता है! तेरी रुसवाई का ख्याल आ जाता है! जब भी ख्वाब आते हैं मेरी आँखों में, तेरी जुदाई…

अच्छाई नहीं मिलती

झूठों की नगरी है साहब, यहाँ सच्चाई, नहीं मिलती…. बुराई के हैं अनगिनत किस्से, पर अच्छाई, नहीं मिलती…. आधे घंटे मे पहुँच जाता है, लोगों…

अच्छाई नहीं मिलती

झूठों की नगरी है साहब, यहाँ सच्चाई, नहीं मिलती…. बुराई के हैं अनगिनत किस्से, पर अच्छाई, नहीं मिलती…. आधे घंटे मे पहुँच जाता है, लोगों…

मुक्तक

मुझसे किसलिए तुम रिश्ता तोड़ गये हो? मेरी चाहत को तन्हा छोड़ गये हो! यादों की आहट रुला देती है मुझको, #साँसे_जिस्म को गमों से…

मुक्तक

कोई नहीं है मंजिल न कोई ठिकाना है! हरपल तेरी याद में खुद को तड़पाना है! मैं कैसे रोक सकूँगा नुमाइश जख्मों की? जब शामे-तन्हाई…

मुक्तक

मुझको याद फिर तेरा जमाना आ रहा है! मुझको याद फिर तेरा फसाना आ रहा है! चाहत की मदहोशी से जागी है तिश्नगी, मुझको याद…

एक शहर….!!

रास्ताें से गुजरते हुए ईक शहर नजर आया, जिससे उढते धुएँ में इंसानियत का रिसता खुन नज़र आया, हँसते हुए चेहराे में, खुद को झूठा…

हैरानी सारी हमें ही होनी थी – बृजमोहन स्वामी की घातक कविता।

हैरानी कुछ यूँ हुई कि उन्होंने हमें सर खुजाने का वक़्त भी नही दिया, जबकि वक़्त उनकी मुट्ठियों में भी नही देखा गया, लब पर…

कविता:- सफर

जीवन के इस सफ़र में प्रकृति ही है जीवन हमारा, बढ़ती हुई आबादी में किंतु हर मनुष्य फिर रहा मारा-मारा॥ मनुष्य इसको नष्ट कर रहा…

New Report

Close