अपना गाँव

गाँव की मिट्टी गाँव की मिट्टी मे सौंधी सी खुशबू आती है,  रिश्तों मे अपनेपन का एहसास कराती है।  चलती हुई पावन पवन मन को…

Pichhe kya hatna

पीछे क्या हटना? मंच भी बदल जायेंगे,किरदार भी बदल जायेंगे,  वक्त के साथ चलते रहो,मंजर भी बदल जायेंगे।  हमेशा अपनी हिम्मत और हुनर पर भरोसा…

Jugnoo

गरीब की कब्र पर कहाँ कब दीप जलते है, रेगिस्तान मे आसानी से कहाँ फूल खिलते है। चांद-तारो की ख्वाहिश तो महल वाले रखते है,…

शिक्षा

“शिक्षा ही जीवन का आधार है, इसके बिना जीवन निराधार है। शिक्षा ही जिन्दगी का सच्चा अर्थ बताती हैं, सत्य और अनंत उन्नति का मार्ग…

नेताजी

मेरे देश के नेताओं का अजीब हाल हो गया, गरीबो के लिए लड़ते लड़ते वो मालामाल हो गया। चुनाव में हाथ जोड़कर घर घर जाता…

सामाजिक हत्या

जिसने तुमको जन्म दिया,जिसने तुमको प्यार से पाला, बेशर्म!तूने उनको अपने कुकर्मो से कलंकित कर डाला। प्यार किया था,प्रेम विवाह भी तुम कर लेती, चुपचाप…

जाड़ा

जब तक नारियल तैल जम न जाये, युगपुरुष केजरीवाल जी मफलर न बाँधने लगे और बोरो प्लस का विज्ञापन आना न चालू हो जाये…… तब…

वजूद

मैं हूं अपने परिवार का हिस्सा या फिर हूं बीते कल का किस्सा खुद को पानी की तरह हर आकार में ढाल दूँ अपनों के…

सिपाही

मैं देश का सिपाही हूँ। दुश्मन की तबाही हूँ, ।। काँधे पे बन्दूक है और तिरंगा हाथ है। कदम मिला चलता, जज्बा एक साथ है।।…

लाचारी

गाँव की एक चिड़ियाँ शहर को गई। ना जाने उसकी अस्मत कहाँ खो गई।। बूढ़ी माँ से वो बोली मैं बेटी नहीं हूँ लड़का तेरा।…

रामायण

पढ़कर रामायण का हिंदी अनुवाद पाखंडी भी खुदको विद्वान समझते है भड़काते लोगो को और कहते हम रामायण को पढ़ते है. रामायण का पाठ ही…

घमंडी इंसान

गुमान ना करना खुद पर घमंडी दुनिया में बहुत से देख लिए गुमान ना चट्टानों का रहा जिसने नदिया के आगे घुटने टेक दिए नदी…

मुक्तक

कभी-कभी चाहत जंजीर सी लगती है! कभी-कभी सीने में तीर सी लगती है! जब कभी भी होती है यादों की आहट, दर्द की हाथों में…

मुक्तक

क्या कर पाया मैं और क्या कर जाऊंगा? तेरे बिना मैं तो यूँ ही मर जाऊंगा! जब कभी तुम देखोगे आईना दिल का, तेरे ख्यालों…

मुक्तक

अब चाहतों के हमको नजारे नहीं मिलते! अब ख्वाहिशों के हमको इशारे नहीं मिलते! हर वक्त ढूंढ लेती है तन्हाई दर्द की, अब हौसलों के…

मुक्तक

हर शख्स जमाने में बीमार जैसा है! ख्वाहिशों का मंजर लाचार जैसा है! सहमी हुई तकदीरें हैं इंसानों की, आदमी सदियों से बाजार जैसा है!…

मुक्तक

कभी चाहत जिंदगी में मर नहीं पाती! कभी दौरे–मुश्किलों से डर नहीं पाती! हर वक्त नाकामी का खौफ़ है लेकिन, कभी आरजू ख्याल से मुकर…

मुक्तक

आज फिर हाँथों में जाम लिए बैठा हूँ! तेरे..दर्द का पैगाम लिए बैठा हूँ! वस्ल की निगाहों में ठहरी हैं यादें, तेरा फिर लबों पर…

मुक्तक

आज फिर हाँथों में जाम लिए बैठा हूँ! तेरे..दर्द का पैगाम लिए बैठा हूँ! वस्ल की निगाहों में ठहरी हैं यादें, तेरा फिर लबों पर…

मुक्तक

बेवफाओं की कोई सूरत क्या होती है? नाखुदाओं की कोई मूरत क्या होती है? जब कौम की जागीरों में बँटा है आदमी, इंसानियत की कोई…

मुक्तक

बेवफाओं की कोई सूरत क्या होती है? नाखुदाओं की कोई मूरत क्या होती है? जब कौम की जागीरों में बँटा है आदमी, इंसानियत की कोई…

मुक्तक

बेवफाओं की कोई सूरत क्या होती है? नाखुदाओं की कोई मूरत क्या होती है? जब कौम की जागीरों में बँटा है आदमी, इंसानियत की कोई…

मुक्तक

बेवफाओं की कोई सूरत क्या होती है? नाखुदाओं की कोई मूरत क्या होती है? जब कौम की जागीरों में बँटा है आदमी, इंसानियत की कोई…

मुक्तक

बेवफाओं की कोई सूरत क्या होती है? नाखुदाओं की कोई मूरत क्या होती है? जब कौम की जागीरों में बँटा है आदमी, इंसानियत की कोई…

मुक्तक

मौत हासिल होती है इंसान के मरने पर! मिलता है अंधेरा उजालों के गुजरने पर! क्यों खौफ-ए-नाकामी है हर वक्त जेहन में? जब दर्द ही…

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