सबूत
बड़ा सबूत माँगते हो मेरी शख्सियत का। खुदा ने तो मेरे कदमों में जन्नत भी रख दी है।
बड़ा सबूत माँगते हो मेरी शख्सियत का। खुदा ने तो मेरे कदमों में जन्नत भी रख दी है।
❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ ❤ रात मायूस करती है और सुबह उम्मीद जगाती है❤
गरीब मैं नहीं तू है जिसका दिल पैसे के लिए धड़कता है और प्रेम के लिये धड़कना भूल जाता है ।
नजाने कब ख़तम होगी ज़द्दो ज़हद ज़िन्दगी की, अभी टॉक उलझा हूँ ज़िन्दगी क सवालो मे। अंदाज़ उसका बे मिसाल था,बेवफाई उसने की, मगर मई…
उदास रहा है चेहरा उदास रहेगा तुझे खो कर के ये कभी ना हँसेगा
दुनिया क्या कहेगी ये सोचेगा तो रुक जाएगा सफलता के लिए तपना पडे़गा , जितना तपेगा उतना निखर जाएगा मेहनत के बल पर ये जमाना…
Mana ki Zindagi ek kowaishon ka samandar hai,har khowaishe puri hon ye zaruri to nahi. ———————- Na jane kab khatam hogi jaddo-zahad zindagi ki,abhi talak…
कितनी बार सोंचा तुम्हारे बारे में ना सोंचूं, यही सोंचते सोंचते रात हो गई।
Sabka bhla soch k itna achha krte krte; Apna itna bura kr gyi, pta hi na chla… Ek naariyal ka kirdaar tha mera, Kyu mera…
सलीक़े से हवाओं में जो ख़ुशबू घोल सकते हैं अभी कुछ लोग बाक़ी हैं जो उर्दू बोल सकते हैं ~ मुहम्मद आसिफ अली
पैर थक गए हैं तेरी ठोकरों से, ए जिंदगी! मगर कहता! हौसला इन पैरों का, ज़फ़र तो हम भी नहीं छोड़ेंगे। और तेरे सितमों का…
बारिश की एक फुहार से, सुखे पेड़ में भी जान आ जाती है और जब होता है जिक्र प्यार का, मुझे मेरी मां याद आ…
तकलीफ अंदर के शोर से है, तनहाई तो यूँ ही बदनाम होती है। गिरता है खारा जल जब भी ऑंख से, वह सुबह वह शाम,…
इन्तज़ार की भी एक हद होती है, ————————– आज इन्तज़ार की सारी हदें पार कर दी हमनें…
तुम भी सही थे और हम भी सही थे, बस समय की मार थी और सारे पैतरे गलत थे।
हम अपनी तकलीफें किसी को बता नहीं सकते, कोई तमाशा ना बना दे मेरी बेबसी का इसलिए किसी को दिल के छाले दिखा नहीं सकते।
मेरी शराफत को लोग मेरी कमजोरी समझते हैं नासमझ है वह लोग जो मुझे नासमझ समझते हैं।
गूंगी नहीं हूं मैं मुझे भी बोलना आता है बस मेरे संस्कार मुझे मौन कर देते हैं।।
जिंदगी जिस राह पर चल रही है, उसकी कोई मंजिल नहीं है, कश्ती साहिल पे थी सही, मजधार में डूब रही है, कत्ल हुआ है…
जिंदगी जिस राह पर चल रही है, उसकी कोई मंजिल नहीं है, कश्ती साहिल पे थी सही, मजधार में डूब रही है, कत्ल हुआ है…
एक दूसरे पर उंगली उठाते-उठाते जीवन गुजर जाता है, पर एक कवि ही है जो स्वयं की कमियों को ढूंढ पाता है।
मन को सम्भाल कर रखा है तेरी यादों को सहेज कर रखा है आँख में आँसू रोज आने लगे हैं, क्योंकि जो कल मेरा था…
जो सावन में भी न मिल पाया वो ये माह कहां से देगा इस महीने का तो नाम ही “सितम-बर” है ये रहम कहां से…
पियक्कड़ों के शहर में शरबत ढूंढ रहा हूं खारे सागरों से मीठा पानी पुकारता रहा हूं अपने हाथों से अंजुली भर के पानी पिलाती हो…
छुपाकर ही रखना बेबसी, मानुष ! दिल ए इज़हार मत करना, कर लेना बातें,परछाईं से अपनी, जमाने को दीदार मत करना, और बैठे हैं लोग…
ऐ दोस्त दुनिया में प्रेम करने वालों की तकदीर बदलती रहती है। आईना तो वही रह जाता है मगर तदबीर बदलती रहती है।।
कब से उठाए बैठी हूँ अपनी घूंघट उनके दीदार के लिए । एक वो है ख्वाबों में आशियाना तलाशते है मेरे लिए।।
यहां जान बहुत सस्ती है, नहीं दुंगा! मैं जीने आया हूं तेरे लिए। और चांद तारों का क्या हैं करना! मैं खुशियां लाया हूं तेरे…
शायद मेरे ज़नाज़े के पीछे अश्क बहाती हुई कोई आ रही है। एक झलक देखें तो किस लिबास में मेरी ज़नाज़े के संग आ रही…
एक सुबह चाय ने मुझ से कहा फुर्सत हो तो क्यों नहीं बैठ जाते। तुम्हारे मन मस्तिष्क को हम अंदरुनी ताजगी से भर देते।।
हम उन पर शेर लिखते गए हमज़ेली भी दीवानी होती गई। ख्वाबों के सिलसिला ऐसी चली ज़िन्दगी की नई मंजिल मिल गई।।
रौशनी से नहा रहा है आज नूर महल, मुद्दत बाद निकला है चाँद मेरे शहर मे । ए फीज़ा तुझे है काली घटा की कसम,…
अब आ ही गए हो तुम तो दुश्मन की जरूरत ना रहेगी बैठे बैठे बहुत वक़्त गुजर गया लगता है अब फुरसत ना रहेगी नाम…
हम गिरें भी तो वहीं जहां इर्द-गिर्द मेरे अपने थे। शायद ना थी खबर हमें रेत पर बने मेरे सपने थे। वीरेंद्र
अश्कों के समंदर में ए खुदा मुझे सिर्फ दो गज ज़मीन दे दे। गर करने लगे वह अपनो से बेवफ़ाई तब,ज़माना मुझे उसी में दफ़ना…
काली मुलायम उड़ती जुल्फें तेरी, इश्कबाज़ों पे कयामत ढाती है। जब चले तू खुली वादियो में, घटा की नियत भी बदलती है।।
जख्मों को हमारे वह कुरेदते जा रहे हैं, कुछ इस तरह वह मुझे आजमा रहे हैं। मेरी रूह में सांस धुंधली हुई जाती, हम उनकी…
गुरूर है मुझे अपने चांद से चेहरे पर, किसी की आरजू मुझे बेदाग करती है।
तू ऐसा रम गया मन में ना कुछ अब तो पराया है, मैं तेरी रूह जैसी हूँ और तू मेरा साया है।
कभी झांक कर देख मेरी नजरों में हो जाएगा तू दीवाना। एक बार दिल में आकर तो देख आ तुझे मैं लबों से छू लूं…
उफ़ ये बेरूखी वो तो इक झलक के प्यासे हैं किस्मत से कमज़ोर हैं मुस्कान भी न पा सके
जिंदगी इक खेल है कोई पास कोई फेल है शिकायत न रहे किसी से सभी से मेरा मेल है
उनकी तारीफ में कोई कैसे कुछ लिखे नजरों को उनसे हटना ही जब मंजूर नहीं
अभिमन्यु नहीं है मगर चक्रव्यूह वैसा है कहते नहीं बनता जीवन ये कैसा है खड़े हैं कुरुक्षेत्र में लड़ने के लिए कमाना और बचाना चाहते…
राम चरित मानस को मन में दोहराए मिल कर के लोग सब सीता राम गाए कलयुग में केवल ये नाम ही आधार है सुमिर सुमिर…
बनाए रखना हिम्मत भगवान् हमारे आते रहे हरदम हम आपके द्वारे भक्तो के रक्षक भगवान् आते हैं मीरा और राधा के जैसे नहीं पुकारे
आते नहीं तूफान तो कश्ती पार हो जाती जीत जाते जंग नहीं हार हो जाती आते रहे तूफान अब तैर जाएंगे सोचा नहीं था दुनिया…
अंधेरा बहुत है आओ दीपक जलाएं कोरोना महामारी को मिलकर हराए दूर रहने में ही बचेगी जान अब बिना संकोच के हम सभी मास्क लगाए
सम्हाल कर बोले शब्द वापस नहीं आएंगे पता है आपको कितना दिल दुखाएगे बोलो गे अगर मीठे शब्द तो घाव भरने वाला मरहम बन जाएगे
मतलब कि दुनिया में मतलवी यार मिले एक बार नहीं हर बार है मिले दुश्मन अच्छे हैं ऎसे दोस्तो से हम उम्मीद करते हैं उनसे…
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