पापा

उठा के फर्श से अर्श तक के सफर में हर कदम साथ चलते हैं पापा डर हो मन में किसी बात का हममें उंगली थाम…

Prem hua hai

प्रेम हुआ है!! बचकानी सी हरकतें सुहानी लगने लगती हैं किसी की हलकी मुस्कराहट ज़िंदगानी लगने लगती हैं हर पल मनो एक नया एहसास मनो…

तुम मुझे

तुम मुझे एकांत में में मिले सुख का पर्याय लगती हो तुम मुझे मेरी हर समस्या का उपाय लगती हो और लगती हो तुम मुझे…

कौन हो तुम?

माँ की ममता से लेकर पापा के ताने तक भाई की सगाई से लेकर बहिन की बिदाई तक माशूका की परेशानी से लेकर बीवी की…

जिंदगी

चलो हसने की हम एक वजह ढूंढते है, जहा न हो कोई गम वो जहां ढूंढते है, बोहोत उड़ लिए आसमान में यारों चलो जमीन…

अमर प्रेम कथा

सीता राम की प्रेम कथा, मोह भरी और गहरा संयोग। भगवान राम और उनकी पत्नी, प्यार का प्रतीक और लीला अनूठी। मिथिला नगरी में जन्मी…

बलिदान

याद मेरी जो आये कभी माँ आँखों को मत नम करना, देख-देख तस्वीरें मेरी ज़रा भी तुम मत ग़म करना, अपनी गोद में ढूंढना मुझको…

स्त्री और प्रेम

प्रिय स्त्री, तुम्हारा प्रेम हमेशा कोमल क्यों है? क्यों नहीं तुम भी दुनिया के तर्कों और व्यावहारिकता की चाशनी में प्रेम को डूबा कर कठोर…

गहरा अंधेरा

अंधेरे और तूफानों से घिरा, एक दीया खुद को जलाकर, अपनी लौ बढ़ाकर बेख़ौफ़ सामना करता रहा…। भले ही उसका आकार छोटा था, परन्तु हौसला…

गहरा अंधेरा

अंधेरे और तूफानों से घिरा, एक दीया खुद को जलाकर, अपनी लौ बढ़ाकर बेख़ौफ़ सामना करता रहा…। भले ही उसका आकार छोटा था, परन्तु हौसला…

आसमान और में

बादलों का गुनाह नहीं की वो बरसते हैं, हमने भी कभी चाहा नहीं फिर भी उनके लिए तरसते हैंl ऐसे बादल अपना दिल हल्का करते…

PAPA

एक शख्स जिसे बहुत करीब से देखा, मेरी हर नुमाईशी पर सहलाते देखा, मेरी हर उलझन को सुलझाते देखा, अपने जज्बातों को हमेशा छिपाते देखा,…

कोरोना काल

आओ हम मिलकर इस संकट को दूर भगाएं कोरोना काल में हमने कितने संकट उठाएं ऑक्सीजन कितना अहम है यह कोरोना ने सबक सिखाया है…

मुसकुराहट

जैसे आती है धीरे से कोई आहट। ऐसी है प्यारी आपकी मुस्कुराहट ।। गर मिटानी हो कोई करवाहट। काफी है आपकी एक मुस्कुराहट।। जिंदगी में…

Tera Intezaar

मैं जिसे ओढ़ता बिछाता हूँ वो ग़ज़ल आप को सुनाता हूँ एक जंगल है तेरी आँखों में मैं जहाँ राह भूल जाता हूँ तू किसी…

मेरी परिभाषा

आज मैं यहाँ खड़ा हूँ, खुद को परिभाषित करने के लिए। शब्दों के रंग में खेलते हुए, अपनी भावनाओं को समर्पित करने के लिए। कविता…

कर्म

मे शुन्य हूँ, मैं अनन्त का सोचता हूँ। आज भले ही जमीन पर हूँ, आसमान मे उड़ने का सोचता हूँ। कोरा कागज हूँ मैं पर…

आंतरिक जीत

जब लेटी समतल भू पर, ऊपर रजनी का फैलाव और टिम टिमाते तारे, भीतर एक एहसास अनुभव हुआ, एक अजब शांति छा गई। इतने सुन्दर…

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