चलो फिर बांट ले
चलो फिर बांट ले गम को फेक डाले खुशिओं को छांट ले
चलो फिर बांट ले गम को फेक डाले खुशिओं को छांट ले
वफ़ा क्यों ढूँढ़ते हो गुमी हुई है गुमी रहेगी
दर्द के पंजों में दर्द है
क्या लिखता है सब दिखता है इंसा बिकता है
वो जलते क्यों है क्या शमा से रिश्ता है
कोई अजनबी छोड़ जाता आवाज़ दबी
जो उसकी तमन्ना बाकि फिर क्या करना
कोई रहबर नहीं कोई सहर नहीं अपनी भी खबर नहीं
नीले सपनो में काले से है शुमार अपनों में
उसने की थी शुरू लड़ाई मात मैंने भी कभी न खाई
वक़्त पकड़ता लम्हा इस दुनिया में हर इंसा तनहा
जंग इंसानियत की इंसान हो रहे लुप्त
उसके क़दमों की चाप सनाटों को रौंद गई चुपचाप
नफरतें बेहिसाब पहने नक़ाब निकलते जनाब
कौन आया कौन गया यही दुनिया
दिखते तो अब जो कभी दिखाई देते पर दिखने जैसे नहीं
कुछ तो था खास कैसे कोई भूले था वो ख़ास
कुछ गहने मैंने देखे सपनों ने पहने
कितना गहरा रिश्तों से समुंदर में सहरा
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