शायरी की बस्ती
एक ख़्याल सा ज़ेहन में लाया जाये, शायरी की बस्ती को अलग से बसाया जाये..मख़ौल ना किसी की ख्वाईशो का उड़ाया जाये। जहाँ हर दर्द…
एक ख़्याल सा ज़ेहन में लाया जाये, शायरी की बस्ती को अलग से बसाया जाये..मख़ौल ना किसी की ख्वाईशो का उड़ाया जाये। जहाँ हर दर्द…
ज़िंदगी से हम अपनी कुछ उधार नही लेते, कफ़न भी लेते है तो अपनी ज़िंदगी देकर!!🌹Wahid✍
मुट्ठी में छुपा कर किसी जुगनू की तरह ….. हम तेरे नाम को चुपके से पढ़ा करते हैं🌹✍Wahid
मैं अमन पसंद हूँ, मेरे शहर में दंगा नहीं शांति रहने दो..!! लाल और हरे में मत बांटो, मेरी छत पर तिरंगा रहने दो..!! ??जयहिन्द??✍वाहिद
चलो आज मेरे दर्द की इंतेहा लिखता हूँ, खुद ही हक़ीम बनके एक दवा लिखता हूँ। कोई मिला दे यार से, या दे दे ज़हर…
उसको चाहा तो मोहब्बत की तकलीफ नजर आई ! वरना इस मोहब्बत की बस तारीफ़ सुना करते थे..!!?Wahid✍
तुम्हारी एक मुस्कान से सुधर गई तबियत मेरी, बताओ ना तुम इश्क़ करते हो या इलाज करते हो।
अक्सर वही रिश्ते लाजवाब होते हैं, जो एहसानों से नहीं एहसासों से बने होते हैं।
अपने जलने मैं नहीं करता किसी को, शरीक.. रात होते हीं मैं शम्मा बुझा देता हूँ।
ये इश्क है जनाब यहा इंसान निखरता भी, कमाल का है और बिखरता भी कमाल का है।
बात वफ़ाओ की होती तो कभी न हारते, बात नसीब की थी कुछ ना कर सके।
मैने इक माला की तरह तुमको अपने आप मे पिरोया हैं, याद रखना टूटे अगर हम तो बिखर तुम भी जाओगे।
बचपन के खिलौने सा कहीं छुपा लूँ तुम्हें, आँसू बहाऊँ, पाँव पटकूँ और पा लूँ तुम्हें।
हम वो ही हैं, बस जरा ठिकाना बदल गया हैं अब, तेरे दिल से निकल कर, अपनी औकात में रहते हैं।
जरूरी नही कि हम सबको पसंद आए, बस, जिंदगी ऐसे जीओ कि रब को पसंद आए। ?
सबने कहा, बेहतर सोचो तो बेहतर होगा, मैंने सोचा, उसे सोचूँ, इससे बेहतर क्या होगा।
काश एक ख़्वाहिश पूरी हो इबादत के बगैर, वो आके गले लगा ले मेरी इज़ाजत के बगैर।
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