Ram

रात घनी अंधेर बड़ी है, फिर से राम पधारो जी | देव संत और मनुज उबारो, दुष्टन को संघारो जी || काहू सो कहूँ ब्यथा…

बारिश

एक दफा बारिश का आनंद लेने की ठानी, यही कर दी हमने सबसे बड़ी नादानी | घर के बाहर ही कीचड का ढेर था ,…

4 Liner#4

क्यों नहीं कहता जो फ़साना है तेरा ये कैसा बेमान अफसाना है तेरा क्यों बना बैठा है वो बुत जो पूजा जाये ये किसकी परस्ती…

4 Liner#1

मिलती गर इज़ाज़त, थोड़ी सी मोहलत मांग लेता | पिंजरे की दाल छोड़कर, आसमानों की भांग लेता || चल पड़ता जहाँ बढ़ते कदम, मुड़ता बस…

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