मुर्दों की बस्ती के बाशिंदे है
जिंदा दिखते हैं सब यहा है जिंदा यहा पे कोई नही मुर्दों की बस्ती के बाशिंदे है है जिंदा यहा पे कोई नही ………
जिंदा दिखते हैं सब यहा है जिंदा यहा पे कोई नही मुर्दों की बस्ती के बाशिंदे है है जिंदा यहा पे कोई नही ………
जीता कौन है यहा जिंदगी आँखें खोल कर मुर्दा बैठे है ख़ुद इनको ही मालूम नही लाईने मौत की लगा बैठे है दिन रात दौलत…
ज़िस्म मेरे की खुशबू ने किया था पागल तुझको या मेरी रूह की महक ने किया था दीवाना तुझको उठा कर देख ख़ुद का आइना,…
हां कुछ वायदे तो हैं याद मुझे जो किए थे बरसों पहले तूने कब और कहा किए थे तूने हां यह सब मै भूल गया…
इश्क-ए-जनून पहूँचा उस मुकाम पे रूह मेरी को घोल मैंने तेरे जिसम में तेरे अन्दर करदी दुनिया फना अपनी …… यूई
जिस नजर से पिलाई आज तूने उसी नजर से ता-उमर अब देखना …… यूई
ना पीना आता है मुझको ना पीने की रिवायत आती है सिर्फ इतना मालूम है मुझको जो भी पिलाए ख़ुद के दिल से उस दिलदार…
चाहते हो मुझे तुम महकाना या चाहते हो मुझे बहकाना तेरे लिए ही है सारा मयखाना दिल चाहे जो मुझे वोह बनाना ………
यह जो मेरी चाल में है मसतानीयाँ तेरी अदाओं की है तो यह नादानीयाँ …… यूई
यह तेरे शवाब का ही तो सरुर है जिसने पाकी को शराबी बना दिया …… यूई
पीने की भी है कुछ रस्मे कब दी थी तूने यह क़समें पिलाई तूने जो बेहिसाब तो मैं बेहिसाब जी गया …… यूई
रहमत तेरी की तूने की मेरी हर खता माफ डूब तेरी माफिओ में मैं थोड़ी और पी गया पीने के शौक में कब इतना तुझमें…
किनारे खेलते से लहरों से कभी जाने कब बीच समुंदर आ गए खेल खेल में पता ही ना चला कब जिंदगी के यह मंज़र आ…
ना पीने की कसम खायी थी मैंने फिर क्यों ना जाने मैं कैसे पी गया बदले रंग जमाने ने कुछ इस कदर के ना चाहते…
पीता तो नही पर आज तो मैं पी गया साकी ने कुछ यूँ पिलाई के मैं पी गया …….. यूई
तेरी रहमत से ही उमर भर पी मैंने तेरी बरकत की सब सह कर पी मैंने …….. यूई
बा-अदब बे-हिसाब हूँ पीता फिर पूछते हो क्यों हूँ पीता नशा तेरे इश्क का है इतना सख्त तोड़ने को उसका सरुर मैं हूँ पीता …
पास रखना या दूर रखना दिल में किसी को ज़रूर रखना पास रहना या दूर रहना दिल में किसी के ज़रूर रहना …….. यूई
मोहब्बत तेरी इतनी भरी है ज़ज़्बातो में मेरे वक्त कम ना रह जाए कहीं निभाने के लिए डर इसीमें मालिक से एक मरजी माँगी अपनी…
बेइंतेहा दर्दो को सहने की, अश्कों को पीने की सांसो की घुटन में रहने की, गमों में जीने की आदतें सारी यह किस किस की…
तेरे लबो पे बस जाऊँ तेरे दिल का गीत बनकर तेरी नजर में बस जाऊँ तेरे दिल का गरूर बनकर …… यूई
शय नही कोई मुकम्मल इस जहां में कमी ढूंढ़ोगे जो एक किसी शय में दिखेंगी हजार तुम्हे वो उस शय में खुशी ढूंढ़ोगे जो तुम…
मेरा हर रोज़ तुझको याद करना रोज़ तुझको ख़ुदकी याद दिलाना यही हैं मोहब्बत की चँद रसमें जो साल दर साल निभायी हैं मैंने …
सबब खामोशियों का मत पूछो यारो यही वोह दौलत है जो मैने क्मायी है …… यूई
जिस्म और रूह की कश्मकश में रूह इश्क जिस्म से कहीं ज्यादा लगा बैठी रूह मेरी पिरो कर मेरे ज़ज़्बातो को खुदमें बन गले का…
खुशिय़ाँ तो कब से हैं दम तोड़ चुकी अब तो गमों के इंतकाल की तैयारी है …… यूई
सोचा था जिसके संग गुज़र जाएगी अपनी गुज़र कर वोह संग गया राह पकड़ अपनी …… यूई
हँसे तो गए हैं जमाने बीत रोने के बहाने भी ले गया मीत …… यूई
इश्क की नामुराद बीमारी ने पकड़ा है शरीर को छोड़ सीधा रूह को जकड़ा है …… यूई
ख़ुशियाँ ना थी कभी अपनी अब तो दर्द भी हो गए पराए …… यूई
हो परेशान मेरे जवाबों से कर ली तौबा मेरे सवालों ने …… यूई
जब भी मुश्किलों नी दी दस्तक तभी की मेरे हौंसलों ने हरकत बड़ा हाथ उसने मुझे पकड़ लिया मुझे टूटने से पहले जकड लिया …
वक़्त कैसा भी हो जिंदगी में कुछ भी करके रोशनी में रहना रोशनी में सब है साथ निभाते …… यूई
सुनते थे गहन मुश्किलों में साया भी छोड़ देता है साथ रात के अँधेरे स्याह साय में मुड़ देखा ना था साया कहीं जब ख़ुद…
बरसे बरसों गुजर गए ना बरसे नैना तरस गए अबके बरस जो बरस गए नैना पथरीले ना बरस गए …… यूई
अभी कल की ही तो बात लगती है अरमानो में घोल इश्क का रंग मैंने बना मेहंदी सजाया था तेरे हाथों को सब बदल गया…
प्यार की यह अनमोल खुशियाँ मिलती कहां है ऐसी कलियाँ ए दिल से भरे दिलदार मेरे है तुझसे ज़िन्दगी में बहार मेरे …… यूई
होंगे आपके जाने दीवाने कितने तुम सबको तो ना जान पाओगे जाने कैसे हमने यह मान लिया आप बस हमको ही अपनाओगे ………
कोई क्यों मेरे लिए परेशान रहे कोई क्यों मेरे लिए आरजुमंद रहे ख़ुदकी आरजु सबकी ख़ुद घेरे रहे किसके पास किसके लिए वक्त रहे …
करना है तो पूरी तरह करना दिल की बस्ती का बाशिंदा हूँ कुछ भी ना तुम ऐसा करना के प्यार हमारा ना शर्मिंदा हो …
क्यों वोह तुमने किया जिसपे ख़ुद शर्मिंदा हो …… यूई
कौनसे बाज़ार में प्यार मेरा बिकवाओगी बेमौल चीज का क्या मौल लगवाओगी …… यूई
प्यार अनमोल है मेरा इसे क्या तुलवाओगी नाप तौल के फेर में सब कुछ गँवा जाओगी …… यूई
क्यों घिरी ही अजीब सी कश्मकश में रही हो सोच, पाऊँ या छोड़ दूँ प्यार को बना नही वह तराजू जो तोले प्यार को कौनसे…
कह कर बेवफ़ा क्यों तुम्हे परेशान करूँ दर्द तेरे को क्यों मैं इतना असान करूँ …… यूई
दर्द देकर तुम क्यों ख़ुद पे शर्मिंदा हो दर्द सह कर भी देखो मैं तो जिंदा हूँ …… यूई
जो दौलत है उस जहां की इसी जहां में तो कमानी है ….. यूई
पूछती है दुनिया क्या पाया तुमने जानती नही दुनिया क्या गँवाया उसने ….. यूई
प्यार में जो तुम कभी पा ना पाये वोही तो प्यार में हम गँवा ना पाये ….. यूई
हाल मेरा बेहाल है चाहे खुद का ख़ुद में जीता हुँ ….. यूई
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