“ढ़ूढ़ता हूँ”

ना  जाने  किस भँवर में हूँ इक ठिकाना ढ़ूढ़ता हूँ, जिन्दगी  जी लूँ  ज़रा  सा बस  फ़साना ढ़ूढ़ता हूँ, प्यार  की  कश्ती  में लगता डूबता…

“आँखें”

मन की बात खुदा ही जानें आँखें तो दिल की सुनती हैं, जिनसे पल भर की दूरी रास नहीं उनसे ही निगाहें लड़ती हैं, दिल…

“वतन-परस्ती”

वतन परश्ती के लिये कोई हिन्दू कोई मुसलमाँ नहीं होता , जिधर  भी  देखो  हर  वक्त  मौजूद  भगवान  नहीं होता, ज़रा नफरत की आग तो…

ताबीर

भरे महफिल में मेरे इश्क की वो इस कदर ताबीर करता हैं, कि  अब   तो  हर  गली  में  सब  मुझे  ही  पीर कहता हैं,

” दर्द “

गलतफ़हमीं में जी रहे हो ‘हुज़ूर’ दर्द क्या होता हैं तुम्हें क्या मालूम, ज़रा पूछो उनसे जिनके अश्कों को पलकों का सहारा नहीं मिलता,

पैगाम

मेरे खतों के पैगाम का  आलम  कुछ  यूँ  हैं ‘ज़नाब’, कि सफीरों की लाशें बिछ गयीं हैं राह ए इंतिजार में,

मय-कदा

चलो उसी कू-ए-यार में चलतें हैं साकी मय-कदा तो खाली हो गया लगता, जहाँ शब-ए-सियह में भी उनके हुश्न-ए-जाम के प्याले मिला करते थे ,

“पैगाम”

आज नहीं तो कल चुका दूँगा , कुछ प्यार मुस्तआर ही दे दो, चोरी छुपे नहीं सरेआम माँगता हूँ , आखरी वक्त का सलाम ही…

“इशारा”

हर बाब बन्द और दरीचे खुलीं थीं घर की इशारा इस ओर था, कोई चोरी छुपे ही सहीं झरोखों से मगर इन्तजार में राहें निहार…

“सुना है”

सुना है रहजन बहुत हैं तिरी राह पर मयकशी के जाम आँखों से लूटते हैं, चलों लुटने के बहाने ही सहीं ‘ज़नाब’ तिरी जानिब फिर…

इन्तजार

तन्हा राहों पर गर मैं भी अकेला चला होता तो अब तलक मंजिल मिल ही गयी होती, मगर इन्तजार भी कोई चीज़ होती है ‘हुज़ूर’…

उस दिन

क्या मेरी आँखों से ही तिरी कोई रंजिश थी उस दिन, या तिरे दीदार की हर खबर झूठी थी उस दिन, हर गलीं हर चौक…

‘खरीददार’

हुज़ूर देखा था मैंनें भी उसे सारी तस्वीरें सरेआम नीलाम करते हुये, लगता हैं वो अन्जान हैं इस बात से की यादों के खरीददार नहीं…

“नाम”

सुना है नाम बहुत है उसका बदनाम होने के लिये, बहुत बड़ा राज होता है जना़ब कामयाबी यूँ ही नहीं मिलती,

फासले

वक्त  मिटायेगा  फासले  क्या  पता  कब  वो  मेरे हो जाये, मैं ही क्यो मानूँ हार जब भरी महफिल में भी सब अकेले हो जाये

मजबूरियाँ

कुछ तो मजबूरियाँ तेरी भी रहीं होंगी कुछ तो मजबूरियाँ मेरी भी रहीं होंगी , सब की मजबूरियों में मजबूर थे हम तेरी नजदीकियों से…

सोचा ना था

कुछ यूँ कटेगी बेरहम सी  जिन्दगी  हमनें  सोचा ना था, वक्त के हाथों ही होगी ख्वाबों की खुदकुशी हमनें सोचा ना था, तन्हा  रातों में…

फासले

वक्त मिटायेगा फासले क्या पता कब वो मेरे हो जाये, मैं ही क्यो मानूँ हार जब भरी महफिल में भी सब अकेले हो जाये,

नव-वर्ष

नवल सुबह की नव शुभ किरणें करें सभी का वन्दन , क्रन्दन रुदन से रहे परे , करें सभी का अभिनन्दन, हो देवों की विजय…

अहल ए दिल

अहद ए दिल नें ही तो हमें बर्बाद कर दिया,रकीबों की रकीबत का पर्दा-फाश कर दिया, उनके हर्फ़ों की चर्चा होने लगी हर तरफ ,…

दिलकशी

दिलकश ख्यालों से दिलकशी का सबक कुछ यूँ सिखा गये हो , हुज़ूर ! अब  तो  दिलकशी  लफ्ज  से भी  डर  लगने लगा है

दरकार

ज़नाब बदल सी गयी है जिन्दगी कुछ यूँ वक्त की दरकार में, यादों की बहार में, मिलन की दरार में ,और तेरे इन्तजार में,

किनारा

रात के ख्वाबों में भी उसका सहारा चाहिये, दिन के हर लम्हात में उसका इशारा चाहिये, हुजूर वो भी इन्सान है शैतान नहीं ,उसकी पलकों…

लफ़्ज

समझदार हूँ मैं लफ्जों का असर जानता हूँ ,नश्तर सा चुभते हैं दिल में इनका दर्द जानता हूँ, हर बात बयाँ करने के लिये लफ्ज…

जुबाँ

आखिर तुझे भी कोई बुला रहा होगा ,तुझे याद कर कर के कोई मुस्कुरा रहा होगा | यूँ ही नहीं जुबाँ लड़खड़ा जाती है हर…

फिरास़त

ये तो फिरास़त है मेरी जो विरासत ए इश्क कर दी है तेरे नाम, वरना जाबिरों को काबिल ए वफा समझता ही कौन है ,

उम्मीद

गम के फसाने को तेरी खुशियों ने लूटा , तेरी हर दीद की उम्मीद ने अखियों को लूटा , उजाले की हर किरन को तूनें…

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