प्रकृति

प्रकृति का कत्ल करकर, जो जीने की आस रखते है। कुदरत को मारकर, जो धार्मिक लिबास रखते है। दिल में नफरत बढ़कर, मुँह पे मिठास…

पाबंदी

सच बोलने पर, आज पाबंदी लग चुकी है। मर चुके ज़मीर, यहाँ खुलेआम बिक रहे हैं। डर के कारण, कोई आवाज़ नहीं उठाता यूँ तारीफों…

वजूद

आंखों की यह पलकें झपका के तो दिखा सच बताऊ यह भी ना कर पाएगा। उस परमात्मा के कारण ही तेरा वजूद है उसके बिना,…

ख्वाब

कुछ ख्वाब जिन्दगी में हमेशा अधूरे रह जाते हैं। अरे दूसरों को क्या समझाऊ मैं, अपने ही समझ नहीं पाते हैं। अरे हमसे भी तो…

सपने

सपने देखा करो ओह यारों सपने साकार भी होते हैं। आज हम जिस मंजिल पर हैं कईओ के ख़्वाब ही होते हैं। बैठे बिठाए नहीं…

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