जब बात करो तो बातों से बातें निकलती हैं
जब बात करो तो बातों से बातें निकलती हैं, उलझी हुई राहों से सुलझी राहें निकली हैं।। – राही (अंजाना)
जब बात करो तो बातों से बातें निकलती हैं, उलझी हुई राहों से सुलझी राहें निकली हैं।। – राही (अंजाना)
जानते हैं के सभी को बीमारी हो गई है, रिश्तों के मध्य खड़ी चार दीवारी हो गई है, कभी बैठ कर साथ में जो बना…
बड़ा अकड़ रहे थे वो चन्द बर्फ के टुकड़े बैठकर, जो मेरे सनम के हाथ लगते ही पानी पानी हो गये।। – राही (अंजाना)
सारे प्रयास प्रत्यक्ष है के विफल हो रहे हैं, सभी अक्षर मुख से निकल अस्त वयस्त हो रहे हैं, पहुँच ही नहीं रही है आवाज़…
चेहरे के हर भाव पढ़ने लगती है, जब कोई लड़की बढ़ने लगती है, कहती कुछ नहीं मुख से फिरभी, चुप्पी आँखों में गढ़ने लगती है,…
ताल्लुक संस्कृति से अपना वो खुल के दिखाती है, बेटी इस घर की जब गुड़िया को भी दुप्पट्टा उढ़ाती है।। राही (अंजाना)
मुकद्दर तेरा ज़रूर रंग लायेगा, जब कोई जीत कर भी हार, और तू हार कर भी चर्चा का मुद्दा बन जायेगा॥
चेहरे के हर भाव की जल्द ही कीमत लगने लगेगी, खामोशी, हंसी की दुकानों पर प्रदर्षनी लगने लगेगी, जेब खाली हो जायेगी सिर्फ भावों को…
तुम अक्सर आकर अपने मन की खुल के मुझसे कह लेती हो, धूप लगे जब तुमको मेरी छाया में तुम सो लेती हो, बहुत अकेला…
कितने मजबूर होकर यूँ हाथ फैलाते होंगे, भला किस तरह ये बच्चे सर झुकाते होंगे, उम्मीदों के जुगनू ही बस मंडराते होंगे, बड़ी मशक्कत से…
कितने मजबूर होकर यूँ हाथ फैलाते होंगे, भला किस तरह ये बच्चे सर झुकाते होंगे, उम्मीदों के जुगनू ही बस मंडराते होंगे, बड़ी मशक्कत से…
कब तक मै यूँ ख़ामोश रहूँगा, अब मुझे तू शब्दों में बयां हो जाने दे, कब तक मै राहों में यूँ भटकता रहूँगा, अब मुझे…
ज़िन्दगी जैसे शतरंज की बिसात हो गई, जिसने समझ ली उसकी जीत ना समझा जो उसकी मात हो गई, ज़िन्दगी जैसे…… बंट गए हैं चौंसठ…
भक्ति तुम बिन वैभव कहीं एक पल को रह न पाये, जबसे देखा तुमको मुझको कुछ और नज़र न आये, कितने दिन से बैठा था…
जब भी बादलों से उतर के आती है बारिश, ज़मी को खुल के गले से लगाती है बारिश, भिगा देती है तन संग मन के…
जड़ों को फैलाये मैं हर पल को पकड़ रहा हूँ, देखो किस तरह मैं खुद पर ही अकड़ रहा हूँ, आया तो था मैं कुछ…
उस रोज़ से रात भी दिन सी लगने लगी है, जिस रोज़ से आकर वो मुझसे मिलने लगी है, पहले तो सो जाता था मैं…
सबकी रातों में ख्वाबों की पहरेदारी रहती है, पर मेरी आँखों में खाली जिम्मेदारी रहती है, कहता हर शख्स है खुल कर दिल की अपने,…
डर के साये में खुद को दबाये बेटियाँ रहती हैं, बहुत कुछ है जो खुद ही छुपाये बेटियाँ रहती हैं, अपने को अपनों से पल-पल…
संस्कारों के बीज यहाँ पर अक्सर बोये जाते हैं, सम्बंधों के वृक्षों पर नये पुष्प संजोये जाते हैं, मात-पिता, दादा-दादी और भाई बहन के नातों…
मिलने से पहले इतना मत घबराया करो, हर बात को यूँ मुझसे न बताया करो, देखना है गर उस खुदा की रहमत तो, सर ही…
छू कर नहीं देखोगे तो सपना ही लगेगा, इस मिट्टी सा तुमको कोई अपना नहीं लगेगा।। – राही (अंजाना)
अर्जियां लाया हूँ लिखकर चेहरे पर अपने, कलम को अपनी ज़रा विश्राम दिया है, झुकाया नहीं है आँखों को तेरे दर पर आज, पलकों को…
मोबाइल की उपस्थिति में किताबों की अनुपस्थिति लग रही है, जिंदगी छोटे से गैजेट्स में डिजिटली कैद लग रही है।। – राही (अंजाना)
ख़्वाबों से बाहर निकल के देखते हैं, चलो आज हकीकत से मिल के देखते हैं, बहुत दिन हुए अब छुपाये खुद को, चलो आज सबको…
कुछ भी नहीं छुपाता हूँ मैं माँ को सब कुछ बताता हूँ, माँ मुझ पर प्यार लुटाती है मैं सब कुछ भूल जाता हूँ, मैं…
सवाल जीत का है या हार का न मालूम राही, मगर जिंदगी तो हर पल जंग सी लगती है।। – राही (अंजाना)
संघर्षों में जीवन की तू परिभाषा कहलाती है, रंग बिरंगी तितली सी तू इधर उधर मंडराती है, खुद को पल- पल उलझा कर तू हर…
लाख अपने गिर्द हिफाजत की लकीरें खीचूँ, एक भी उन में नहीं “माँ ” तेरी दुआओं जैसी, लाख अपने को छिपाऊँ कितने ही पर्दों में,…
कितनी दफ़ा उँगलियाँ अपनी जला दी तूने… ‘माँ’ मेरे लिए चंद, रोटियाँ फुलाने में ! कितनी दफ़ा रातें गवां दी, “माँ” तूने मुझे सुलाने में,…
जो मन की बंजर धरती में फूल खिलाये तुम, टूटी मेरी हिम्मत को जो फिर से जागाये तुम, बिखरे मेरे मन की चादर जो फिर…
बिसात शतरंज की आज भी लगा लेता हूँ, चाल अपने हुनर की आज भी दिखा लेता हूँ, हाथी और घोड़ों की आज भी पहचान नहीं…
किसी को जिम्मेदारी की बेडियों ने जकड़ा है, तो कोई मुक्त है बारिश में भीग जाने को।।।
लपेटकर कलाई में धागा जो रिश्ता बांधती है, जब कोई सुनता नहीं मेरी तो वो कहना मानती है, सर पर तो रखता हूँ मैं हाथ…
माना के ज़हरीली ज़िन्दगी है मगर जिगर पाक रखते हैं, हम इन्सा नहीं जो दिल में कोई बात रखते हैं, यूँ तो गले लगाने की…
किसी कलमकार की कलम के नखरे हजार देखो, कहीं बनाती किसी की ज़िन्दगी तो कहीं ये बिगाड़ देखो, किसी अस्त्र से कम नहीं है वजूद…
यूँ तो हर एक नज़र को किसी का इंतज़ार है, किसे दिख जाये मन्ज़िल और कौन भटक जाए, कहना कुछ भी यहाँ दुशवार है, एक…
माना के आँसूओ में वजन नहीं होता, पर एक भी जो छलक जाए तो मन हल्का हो जाता है।। – राही (अंजाना)
गुरु ज्ञान की पुस्तक हमको सही गलत का पाठ पढ़ाए, अन्धकार के पर्दे को नज़रों से सहज भाव से खोल दिखाए, जीवन एक जटिल पहेली…
तुम्हारे जाने से ज़िन्दगी उलझ सी गई है, तुम्हारे साथ में कुछ तो सुलझा सा था।। राही (अंजाना)
कभी सूनसान गली तो कभी खुले मैदान में पकड़ ली जाती है, तू क्यों कटी पतंग सी हर बार लूट ली जाती है, वो चील…
तुम्हारे जाने से ज़िन्दगी उलझ सी गई है, तुम्हारे साथ में कुछ तो सुलझा सा था।। राही (अंजाना)
किसी कलमकार की कलम के नखरे हजार देखो, कहीं बनाती किसी की ज़िन्दगी तो कहीं ये बिगाड़ देखो, किसी अस्त्र से कम नहीं है वजूद…
खामोशियाँ यूँही तो खामोश नहीं होती, कोई वजह तलाशो क्यों इनमें आवाज नहीं होती।। राही (अंजाना)
यूँ तो हल्की सी है ज़िन्दगी, वजन तो बस ख्वाइशों का है।। राही (अंजाना)
अँधेरे और रौशनी का कोई मलाल नहीं रखता, मैं ‘राही’ अपने दिल में कोई सवाल नहीं रखता।। राही (अंजाना)
संघर्षों में जीवन की तू परिभाषा कहलाती है, रंग बिरंगी तितली सी तू इधर उधर मंडराती है, खुद को पल- पल उलझा कर तू हर…
कुछ न कुछ टूटने का सिलसिला आज भी ज़ारी है इस दुनिया का डर प्यार पे आज भी भारी है।। टूटकर बिखरना, बिखरकर समिटना आज…
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