शिकार

शिकार करने चली थी बाज का, हुस्न के गुरूर मे ।। हँसी थामे ‘सच’ कहू … पर भी ना मिला कबुतर का ।। ~ सचिन…

ब्लकबोर्ड

‘ब्लैकबोर्ड’ जैसा तुम्हारा दिल, काले पत्थर सा सख्त , पर अन्दर से साफ है ।। ‘चॉक’ से तुम्हारे सुन्दर विचार, इजहार करो, अन्दर रखना पाप…

फितरत

इंसान की भी गजब फितरत है, रिश्ते जुडे़ तो है दिल से… और विश्वास धागों पर करता है । ~ सचिन सनसनवाल

आश

बैठे है अकेले राह में, दिल में कोई आश है , घडी की बदलती सुइयो के _सही होने का इन्तजार है , कुछ कदम बढाने…

क्यों वो शख्स …?

हाथ से मेरे कुछ लकीरें फिसल गई, पलक झपकी ना थी कि… पानी की कुछ बुँदे निकल  गई, एक झपकी मे ही सबकुछ बदल गया, लाश तो एक गिरी थी … पर इंसान हर एक बदल गया, कुछ पलों मे ख्वाबो को छोड़ दिल जम गया, मन मे है बस एक ही सवाल – “क्यों वो शख्स बिछड़ गया “? क्यों वो शख्स बिछड़ गया “? -सचिन चौधरी (सनसनवाल)

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