कविता:- सफर

जीवन के इस सफ़र में प्रकृति ही है जीवन हमारा, बढ़ती हुई आबादी में किंतु हर मनुष्य फिर रहा मारा-मारा॥ मनुष्य इसको नष्ट कर रहा…

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