ममता

ये पेशानी पे जो लकीरें सी खिंची हुईं है, आँखों के तले बेनूर रातें सी बिछीं हुईं हैं, ये जो कांपते हाथों में काँच की…

रिश्ते

रिश्ते ना गहरा सागर हैं ना जल माटी की गागर हैं वे तो बस बहता दरिया हैं जीवन जीने का ज़रिया हैं कुछ रिश्ते तुम्हारी…

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