तिरंगा

ना बिलखे भूख से ना कोई बच्चा नंगा रहे ना हो आतंक के साये ना कहीं कोई दंगा रहे मेरे भारत में चहुँ ओर बस…

नारी

कभी श्रापित अहिल्या सी पत्थर बन जाती है कभी हरण होकर सीता सी बियोग पाती है कभी भरी सभा में अपमानित की जाती है कभी…

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