तन्हाई

बैठा हुआ था मैं निरुत्तर सा होकर, कि किसी की आवाज़ आई पूछा, तो कही, मैं हूँ “तन्हाई” आपका साथ निभाने को आई शून्यता सी…

कैसे होते हैं……!

कैसे होते हैं……! ——————————— कोई पहचान वाले अनजान कैसे होते हैं जानबूझ कर कोई नादान कैसे होते हैं बदलता है मौसम वक़्त और’लम्हें सुना हेै–…

भारतीय हो-भारतीय रहो

भारतीय हो-भारतीय रहो ———————————- भारतीय हो–भारतीय रहो सर ऊँचा कर भारतीय कहो मिट्टी यहाँ की,संस्कृति यहाँ की संस्कारों में पली-बढ़ी है शक़्ल-ओ-सूरत मनुष्य एक सा…

अब तो संभलो…!

अब तो संभलो…! —————————- स्वार्थ के हर रंग मेें रंग गया है दिल…..देखो और मुस्कुराकर कह रहें हैं— ये दुनियाँ कितनी रंगीन है……!! “मतलब” के…

…..बढ़ रहा है क्यों–??

…..बढ़ रहा है क्यों–?? —————————- प्यार दिखता नही,नफ़रत घटती नहीं तक़रार का अंगार बढ़ रहा है क्यों…? इंसानियत मिलती नहीं,हैवानियत मिटती नहीं संस्कारों का बिखराव…

नहीं थकती……।

नहीं थकती……। —————————- अश्रुपूरित नयन मेरे क्यों….? राह तुम्हारी ताकते नही थकती शून्यमात्र बिन तेरे-जीवन के पल “प्रीत”हमारी-कहते नही थकती मनुहार दिल की-सुने तेरा दिल…

अश्क़

अश्क़ ———— बातों ही बातों में पलकों की दामन में- मोतियों से कुछ दिख पड़ते “अश्क़”हैं ये–बुलबुले अरमानों के कभी चहकती खुशियाँ कभी ख़्वाब लुटतें…

नहीं थकती……।

नहीं थकती……। —————————- अश्रुपूरित नयन मेरे क्यों….? राह तुम्हारी ताकते नही थकती शून्यमात्र बिन तेरे-जीवन के पल “प्रीत”हमारी-कहते नही थकती मनुहार दिल की-सुने तेरा दिल…

ग़रीब कौन है…?

ग़रीब कौन है…? वो— जो कष्ट से जीवन जीता है मुफ़लिसी की घूंट पीता है कपड़े तन पे नहीं आनंद जीवन में नहीं सहमी मज़बूर…

रंग क्या होंगे

रंग क्या होंगे—? ————————- लिखेगी लेखनि कौन सा अक्षर स्याही के रंग क्या होंगे–? लफ़्जें कहेंगी कहानी कौन सी कथाओं में उमंग क्या होंगे—? झलकेगा…

नवविवाहिता का पति को भाव–समर्पण…….

मेरे साजन तुम्हारा अभिनन्दन ————————————– मेरा सजने को है जीवन–आँगन मेरे साजन तुम्हारा अभिनन्दन… भाव–विभोर मेरे नैनन में स्वप्न ने ली अँगड़ाई है- जो लिखी…

क्या रखा है–?संसार के विकार में

—————-–————————— दुनियादारी के बाज़ार में फँस गए हम व्यापार में लाभ-हानि में हुई बेवकुफियाँ मान-हानि भी व्यवहार में नज़र-नज़र की बात निराली नज़र ने नज़र…

रंग क्या होंगे—?

  लिखेगी लेखनि कौन सा अक्षर स्याही के रंग क्या होंगे–? लफ़्जें कहेंगी कहानी कौन सी कथाओं में उमंग क्या होंगे—? झलकेगा इनमें कौन सा…

द्वय–वय–जीवन उत्कृष्ट विभूषित

हृदय–पटल पर नृत्यमय नुपुर झनक से झंकृत हूँ विस्मित मैं मधु-स्वर से विह्वल अभिराम को आह्लादित तिमिर अंतस को कर धवल— कनक–खनक करके उज्जवल सारंग–सा…

ज़िन्दगी……|

है ज़िन्दगी कहीं हर्ष,कहीं संघर्ष कभी दुःखों की अवनति,कभी खुशियों का उत्कर्ष ऐश्वर्य है ज़िन्दगी,कहीं है ज़िन्दगी परिश्रम ज़िन्दगी का अर्थ लगाना ही–है मन का…

श्रृंगार की रचना

सारे सितम भुल जाऊँ इतना प्यार देना मुझे हर जख़्म भुल जाऊँ इतना प्यार देना मुझे तेरा एतबार औरों से ज़ुदा है निगाहों में उम्मीद…

अब तो संभलो

स्वार्थ के हर रंग मेें रंग गया है दिल…..देखो और मुस्कुराकर कह रहें हैं— ये दुनियाँ कितनी रंगीन है……!! “मतलब” के रस्से से अब बँध…

WO—-

(Jawaa Dilo ke dharrkan aur ehsas ko chhone ka prayas : ek shringaar rachna.)——– WO—- ——— WO…….. Muskuraa rahi–yun door se hi Kbb qarib aayegi………

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