अगर आह्वान करूं चांद का…
देखती हूँ चांद को – लगता है बहुत भला , सोचती हूँ कईं बार – अगर आह्वान करूं चांद का क्या आएगा चांद धरती पर?…
देखती हूँ चांद को – लगता है बहुत भला , सोचती हूँ कईं बार – अगर आह्वान करूं चांद का क्या आएगा चांद धरती पर?…
आसमां के तारों में वो एक सितारा क्यों लगता है अपना सा। पलकें बंद कर देखूं तो सब क्यों लगता है सपना सा। बाहें किरणों…
महक रही है फिजा कुछ इस तरह, खुली पलकों में तसव्वुर अब पलने लगे है। पिंघल रही है चांदनी कुछ इस तरह , ख्याल तेरे…
शीशे का एक महल तुम्हारा, शीशे का एक महल हमारा. फिर पत्थर क्यों हाथों में आओ मिल बैठें , ना घात करें । प्रीत भरें…
मेघों में फंसे सूरज, तुम हो कहाँ? सोये से अलसाए से, रश्मी को समेटे हुए, तुम हो कहाँ ? मेरे उजालों से पूछों – मेरी…
ट्रेन के डस्टबिन के पास मैले -कुचेले फटेहाल वस्त्रों से अपना तन ढकती, गोद में स्केलेटन सा बिलखता बच्चा थामे, डालती है अपना हाथ डस्टबिन…
ईश्वर की अनूठी रचना हूँ मै हाँ ! नारी हूँ मैं ……… कभी जन्मी कभी अजन्मी हूँ मैं , कभी ख़ुशी कभी मातम हूँ मैं…
तुम्हें न देखा न स्पर्श किया, नाही सुना है अब तक पर तुम कितने खास बन गए हो, तुम्हारे आने की जब से हुई है…
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