सियासत

चलो अपनी असलह रूपी कलम को बारूद से लबरेज कर लें,और दाग दें दुश्मनों और गद्दारें के तन पर कि शब्दों के बम रूपी गोले…

सियासत

हर तरफ आँधियाँ चल रही है नफरतों की हवाओं की साजिशें हैं या सियासी बुखार है। पारुल शर्मा

कश्मीर

अनुच्छेद 370 का ही परिणाम हैं जो कश्मीर में अब भी तिरंगे जलते हैं। पथराव होता है देश भक्तों पर और जवानों के तन पे…

गम बनाम खुशी

।। गम बनाम खुशी ।। गम बोला खुशी से —-बता बता दो जा रही हो जिसकी जिंदगी से। खुशी—वहाँ तो मेरा आना जाना लगा रहता…

वधू चाहिए

—————– वधू चाहिए ———— आये लड़के वाले छपवाने इस्तहार मेरी संजीवनी में एक वधू चाहिए आ गयी है कड़की घर में है परिवार छोटा सा…

खामोशी

तेरी खामोशी ने ही बिखेर दिया मुझे सफ़हों पर। और मेरी तमन्ना थी कि तेरी बाँहों का सहारा मिले।

औरत

औरतों के घर कहाँ होते हैं जहाँ पैदा हुई वो मायका जहाँ शादी हुई वो ससुराल।औरतों के अपने कहाँ होते हैं।एक के लिए पराया धनदूजे…

सफेद दरख्त

सफेद दरख्त अब उदास हैं जिन परिंदों के घर बनाये थे वो अपना आशियाना ले उड़ चले। सफेद दरख्त अब तन्हा हैं करारे करारे हरे…

सृष्टी का सम्मान करो, धरती का मान रखो

बूँद बनी तेजाब कण बना अंगार ध्वनी शूल बनी वायू बनी आग इलेक्ट्रोंनिक्स के महीन कटीले झाड़ वाहनों,फेक्ट्रीयों के धुँये का जंजाल भूमी में रिसते…

बाल श्रमिक

मंदिर में पानी भरती वह बच्ची चूल्हे चौके में छुकती छुटकी भट्टी में रोटी सा तपता रामू ढावे पर चाय-चाय की आवाज लगाता गुमशुदा श्यामू…

माँ

।। माँ ।। वो दूर गया है परसों से माँ सोई नहीं है बरसों से माँ की आँखों से ही तो घर-घर में उजाला है।…

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