मेरी आवाज दबा दी गयी
मेरी आवाज दबा दी गयी मेरे अल्फ़ाज मिटा दिये गये जला दिया मेरा जिस्म भी दुनिया ने मगर ख्वाहिशे कहां मिटती है ढ़ूढ़ लेती है…
मेरी आवाज दबा दी गयी मेरे अल्फ़ाज मिटा दिये गये जला दिया मेरा जिस्म भी दुनिया ने मगर ख्वाहिशे कहां मिटती है ढ़ूढ़ लेती है…
इक वक्त, इक रब्त जुड़ा था, [रब्त = Relation] वक्त गुजर गया, रब्त रह गया कुछ लम्हो की दास्ता बनकर ये याराना पक्के अल्फ़ाजों…
वो आंखे आज तक चुभती है मुझको एक दम खाली, खाली कटोरे सी जो पूछ रही हों, कह रही हो अपनी भूखी दास्तां लफ़्ज ही…
नहीं हो जब कोई अंजाम, अगर आगाज़ का बस इक राह हो, न कोई मंजिल हो दिल में बस मोहब्बत हो, दिल मिलने को मुन्तजिर…
वो खुशनुमा चेहरा कितना नूरदार है आज की रात जैसे फैल गया हो चांद पिघलकर उनके रूखसारों पर
इसे बेनाम ही रहने दो, कोई नाम न दो वर्ना बेवजह दिल में कई सवाल उठेंगें उन सवालों का जबाव हमारे पास नहीं सिर्फ़ अहसास…
इस वीराने में अचानक बहार कहां से आ गयी गौर से देखा तो ये महज़ इज़हार ए तसव्वुर था
है हर तरफ़ शोर तबाही का गुमराह है रूह, दबी हुई सी कहीं डूब गया है सूरज उम्मीद का लफ़्ज ढूढ रहे है बसेरा तबाही…
पछताओगे तुम, रुसवाईयां करोगे गर छोड दिया हमने तेरी गलियों मे आना कभी तुझसे मुश्ते-मोहब्बत मांगी थी, कोई कोहिनूर नहीं बस तेरे दीदार की…
इक नज़्म है जिसे हरपल गुनगुनाता हूँ कोरे कागज पै स्याही सा बिखर जाता हूँ हर्फ़ हालातों में ढलकत कुछ कह देते है कोई सुनता…
हो गये थे हैरान नैरंगे-नज़र देखकर मिल जाता सुकुन ग़र जो इनसे पी लेते कभी
वह भिखारी मलिन मटमैला फटा पट पहने था वह पथवासी नमित निगाहे नित पथ पर नयनों से नीर निकलता विदीर्ण करता ह्रदय अपने भाग्य पर…
चाहे कितनी नफ़रत कर लो हमसे तेरे दिल को अपना बनाकर रहेगें बहुत रो चुकी है आंखे हमारी तेरी आंखों से आंसू हम गिराकर रहेंगे…
कुछ अश्कों की महफिल जमी और वो याद आये रुखसार कुछ नम से हुए और वो याद आये एक जमाने की मोहब्बत वो चंद लम्हो…
समझने को दुनिया ने क्या क्या हमें समझा जो न समझना था, लोगो ने वही समझा देख के दुनिया की समझदारी, हम यही समझे जो…
वो पूछते है हमसे कि आजकल हम क्या करते है क्या बताएं कि उनके इंतजार में किस कदर मरते है अपने अहसास, अपनी आरजू दिल…
बहुत खारे है जज़्बात हमारे इस मीठी मोहब्बत के तुम्हारी नज़रों में क्या मोल है हमारे अश्कों के समंदर का
अनकही बातों तो समझते आये थे अबतक उन्होने आज जो कहा समझ नहीं आया
उसके चेहरे से नजर हे कि हटती नहीं वो जो मिल जाये अगर चहकती कहीं जिन्दगी मायूस थी आज वो महका गयी जेसे गुलशन…
घुल गया उनका अक्स कुछ इस तरह अक्स में मेरे आईने पर भी अब मुझे न एतबार रहा हमारी मोहब्बत का असर हुआ…
कौन कहता है आदमी मरता है बस एक बार वस्लो हिज़्र के खेल में मौत हुयी हमारी हजार बार
बिछडने के ख्याल से हम आपसे मिलने से डरते है मगर कैसे बताएं हम किस कदर तनहा मरते है देख न ले वो हमें,…
अश्क बेपरवाह बहे जाते है एक कहानी है ये जो कहे जाते है कोई सुनता ही नहीं कोई ठहरता ही नहीं आते है लोग, चले…
बढे जो मेरे हाथ, खुदा की तरफ़ दुनिया ने मुझे काफ़िर करार दे दिया नहीं समझी दुनिया, न वो खुदा मेरे सजदे को|
इक अधूरापन है जो झांकता रहता है दिल की दरारों से| मचलता रहता है, मुकम्मल होने की ख्वाहिश में| कुछ यादें थी, अधूरी सी…
थोडी सी उदासी जमा कर ली है मुठ्टी भर दर्द को कैद कर रखा है दिल के इक कौने में कभी कभी इसी दर्द…
कभी कभी सोचता हूं कि हमने पत्थर को भगवान बनाया है या भगवान को भी पत्थर बना दिया
चले जाओगे तुम ये सोच नहीं था हो जाएगें तनहा हम ये सोचा नहीं था हंसते हंसते बितायी थी जिंदगी हमने गम में ढ़ल जाएगी…
पुरानी जिंदगी कभी कभी जाग उठती है यादें आ जाती है याद बेवजह खारी लकीरें छोडकर रुखसारों पर न जाने कहां खो जाते है जज्बात…
Saavan ये कारवां चले तो, हम भी चलेंये शम्मा जले तो, हम भी जलेंखाक करके हर पुरानी ख्वाहिश कोइक नया कदम, हम भी चलें…… …
October 17: Anti Poverty Day सर्दी में नंगे पांव कूड़ा बटोरते बच्चे ठिठुरता बचपन उनका सिकुडी हुई नन्ही काया टाट के थैले की तरह …
ऐसा नहीं कि कोई नहीं जहान में हमारा यहां दोस्त है कई मगर, क्या करें नादान है
आज की शाम शमा से बाते कर लूंउससे चेहरे को अपनी आखों में भर लूं फासले है क्यों उसके मेरे दरम्याचलकर कुछ कदम कम ये…
तेरी आवाज में हम डूब जाते हैतुझसे हम कुछ कह नहीं पाते है हाल ए दिल कैसे करें बयां अपनादिल की हर धडकन में तुझे…
समंदर में इक कश्ती है छोटी सी कभी रोती थी रेत के दरिया में अब दरिया ए अश्क में तैरती है..
कुछ कमाल की बात है उनकी आवाज में कभी कोयल सी मधुर लगती है कभी बिजली की कडक सी कर्कश तो कभी बूंद बनकर बरसती है…
थोडा सा शरमाकर, हल्के से मुस्कुराकर झुकी जो नजरनज़रे-नूर-ओ-रोशनी में मेरी रंगे-रूह हल्के से घुलती गयी
हम अपना हाल -ए- दिल आपसे कहते रहेकभी बच्चा तो कभी मासूम आप हमें कहते रहे आज तक कोई सबक पढा न जिंदगी में हमनेताउम्र…
कुछ कहने की कोशिश में है अहसास मिरे उमडने को आतुर है ज़ज्बात मिरे वो तो अल्फ़ाज़ हैं कि कहीं खोये हुए है नहीं तो…
सिमट रहा हूं धीरे धीरे इन सर्द रातों में छिपा रहा हूं खुद को खुद में इस बेनूर अंधेरे में कभी कोई चीख सुनाई देती…
चली आतीं है अक्सर यादें तुम्हारी मगर तुम नहीं आते की कोशिश कई दफ़ा भूल जाने की तुम्हे मगर भूल नहीं पाते आयीं राते…
एक अरसे से उनसे नजर नहीं मिली जमाना गुजर गया किसी को देखे हुए
धुंधले–धुंधले कोहरे में छिपती रवि से दूर भागती एक‘रश्मि’ अचानक टकरा गयी मुझसे आलोक फैल गया भव में ऐसे उग गये हो सैकडो रवि नभ…
घुल गया उनका अक्स कुछ इस तरह अक्स में मेरेआईने पर भी अब मुझे न एतबार रहा हमारी मोहब्बत का असर हुआ उन पर इस…
जो आँख देख ले उसे वो वहीं ठहर जाती हैदेखते देखते उसे शाम ओ सहर बीत जाती है फ़लक से चाँद भी उसे देखता रहता…
जब शागिर्द ए शाम तुम हो तो खल्क का ख्याल क्या करेंजुस्तजु ही नहीं किसी जबाब की तो सवाल क्या करें
You know that I stare at you oftenLook at your lively smile with frozen eyesI sit behind you just few aisles awayDream about our friendship…
उसके चेहरे से नजर हे कि हटती नहींवो जो मिल जाये अगर चहकती कहीं जिन्दगी मायूस थी आज वो महका गयीजेसे गुलशन में कोई कली…
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