क्यों तुम मेरा पता पूछते हो
नहीं है कोई खबर मुझे खुद की क्यों तुम मेरा पता पूछते हो
नहीं है कोई खबर मुझे खुद की क्यों तुम मेरा पता पूछते हो
तुझसे कहां कुछ कह पाती हूं मैं जब भी तुम होते हो सामने खुद को खामोश ही पाती हूं मैं
हमेशा किसी की तलाश रहती है मुझे लगता है जो कुछ है वो अधूरा है अल्फ़ाजों में कहां समाता है जो जहन में गूंजता है…
कितने चेहरे सामने आते जाते है हर रोज फिर क्यों कोई इक चेहरा दिल में अटक जाता है
कौन सा रंग भरू, किस रंग से उकेरू मैं जिंदगी की तस्वीर फीकी जिंदगी को र्ंग नही जचते|
बारिश भी कहीं भी कभी भी हो जाती है सूखे मन को नम कर से ऐसा कोई नहीं
परवाह करे कोई, किसी को हमारा भी ख्याल हो किसी की जुबां पे कभी हमारा भी सवाल हो
Kisi ko shikayat he, kisi ko gila he Hum magar beparvaah he, Nahi matlab agar koi jala he
नीले आसमान में कहीं अपना नाम लिख दूं ख्वाहिश है हर चीज को नीलम कर दूं वक्त कभी हमारा भी आयेगा ऐ दोस्त दुनिया मे…
कुछ रिश्ते खास होते है दूर होते है, फिर भी पास होते है कैसे करे बयां, इन अहसासो को लफ़्ज कहां इतने खास होते है
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