Barsaat

इन हाथों में अरसों तक थी उनके हाथ की खुशबु। जैसे रातरानी से महकती रात की खुशबु। इत्र हो गई जो बूंदें लिपटकर उनसे, दुनिया…

मुक्तक

है परिभाषित सतत संघर्ष और संग्राम अभिनंदन। हैं हम सारे अयोध्या के निवासी, राम अभिनंदन। वो जो हर भौंकते से श्वान का मुंह वाण से…

मुक्तक

मात्र श्रृंगार की ना रहे पराकाष्ठा इसमें अंगार भी चरम होना चाहिए। मात्र प्रेम और आसक्ति ना बने कविता पंक्तियों में वंदे मातरम होना चाहिए।

विचार

तुम बॉलिवुड अभिनेत्री सी, मैं भागलपुर का अभियंता। तुम भरी विद्वता की चर्चा, मैं चुटकुलों का सन्ता बन्ता। तुम झांसी की रानी जैसी, मैं धरने…

पिता

किसी अनजान से बोझ से झुका झुका ये फल दरख्त़ की झड़ों में ढूंढ़ता सुकून के चन्द पल। कभी मिले पत्तों के नर्म साए तो…

मुक्तक

मां भारती का सहस्त्र वंदन, रही है आवृत ये गोधुली से यहीं दिगम्बर ये अन्नदाता, लगे है पाथेय संबली से। यहीं पे खेले चराए गैया,…

कवि

रातभर हम ओस पर खींचा किए थे लकीरें, सुबह को सुरज मुआ दुनिया उड़ा कर ले गया। हमने ज़मीं पर बैठकर इंचों में नापा आसमां,…

पथिक

मीलों का पथ, पथरीला भी पथिक हूं मैं भी, चल दूंगा। सारे मौसम शुष्क रहे क्यों बादल हूं मैं, बदल दूंगा। भीष्म बनो तुम, कर्ण…

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