मुक्तक
मैं जिन्दगी में मंजिले-मुकाम तक न पहुँचा! मैं जिन्दगी में प्यार के पयाम तक न पहुँचा! यादों की डोर से बंधा हूँ आज भी मगर,…
मैं जिन्दगी में मंजिले-मुकाम तक न पहुँचा! मैं जिन्दगी में प्यार के पयाम तक न पहुँचा! यादों की डोर से बंधा हूँ आज भी मगर,…
किसतरह तेरी यादों की रात जाएगी? किसतरह तेरे गम की सौगात जाएगी? जागे हुए हैं ख्वाब भी आँखों में कबसे, कब तेरी चाहत से मुलाकात…
तेरी उम्र तन्हाई में गुजर न जाए कहीं! तेरी जिन्दगी अश्कों में बिखर न जाए कहीं! क्यों इसकदर मगरूर हो तुम अपने हुस्न पर? कोई…
आरजू हालात की मोहताज नहीं होती है! ख्वाहिशों में लफ्जों की आवाज नहीं होती है! जब रोक देती है कदमों को तकदीरे-मंजिल, हर आदमी की…
आरजू हालात की मोहताज नहीं होती है! ख्वाहिशों में लफ्जों की आवाज नहीं होती है! जब रोक देती है कदमों को तकदीरे-मंजिल, हर आदमी की…
जब हमारा किसी से रिश्ता टूट जाता है! प्यार का हाथों से गुलिस्ताँ छूट जाता है! हम खोजते हैं मंजिलें वफाओं की लेकिन, रास्तों में…
आज भी मुझको तेरा हसरत-ए-दीदार है! आज भी मेरी नजर को तेरा इंतजार है! जोड़ता रहता हूँ तेरी चाहतों की कड़ियाँ, आज भी मुझको तमन्ना…
मैं तेरी तमन्ना को छोड़कर आया हूँ! मैं दर्द की बंदिश को तोड़कर आया हूँ! मैं भूल गया हूँ मंजिलें राह-ए-इश्क की, अश्कों के तूफान…
मेरा सकून तेरी मुलाकातों में है! तेरी तमन्ना दिल के जज्बातों में है! हरवक्त खींच लेती है तेरी जुस्तजू, तेरी यादों की खूशबू रातों में…
जबसे तेरी चाहत में नाकाम हो गया हूँ! दर्द और तन्हाई का पैगाम हो गया हूँ! मैं ढूंढता रहता हूँ सब्र को पैमानों में, तेरी…
जबसे तेरी चाहत में नाकाम हो गया हूँ! दर्द और तन्हाई का पैगाम हो गया हूँ! मैं ढूंढता रहता हूँ सब्र को पैमानों में, तेरी…
जबसे तेरी चाहत में नाकाम हो गया हूँ! दर्द और तन्हाई का पैगाम हो गया हूँ! मैं ढूंढता रहता हूँ सब्र को पैमानों में, तेरी…
अभी रिश्ता दिलों का धड़कनों में चलने दो! अभी #शामे_तन्हाई को रात में ढलने दो! कभी तो मिलेगा हमें भी रास्ता मंजिल का, रोशनी उम्मीद…
क्यों जिन्दगी में प्यार से डरे हुए हैं लोग? राहों में मददगार से डरे हुए हैं लोग! ठहरी सी परछाइयां हैं मंजिलें बनकर, गमों के…
गुजरे हुए जमाने की तुम बात न करो! दर्द के अफसाने की तुम बात न करो! कुछ देर तलक होश में रहने दो अभी, जाम…
काश तुमसे चाहत को बोल पाता मैं भी! काश गाँठें लफ्जों की खोल पाता मैं भी! ठहरी हुई निगाहें हैं मेरी पत्थर सी, काश तेरी…
तुमको देखकर मेरा दिल मचलता है! तुमको सोचकर मेरा दिल बहलता है! कैसे मैं लगाऊँ जख्मों पर बंदिशें? मुझको गमें-ख्याल दिन रात कुचलता है! मुक्तककार-…
यूँ ही उम्र तन्हा गुजरती रहेगी! बस तेरा इंतजार करती रहेगी! चाहत तैरती है अश्कों में लेकिन, तेरी याद रगों में चलती रहेगी! मुक्तककार –…
यूँ ही उम्र तन्हा गुजरती रहेगी! बस तेरा इंतजार करती रहेगी! चाहत तैरती है अश्कों में लेकिन, तेरी याद रगों में चलती रहेगी! मुक्तककार –…
यादों की करवट से लकीर सी बन जाती है! दिल में तरंगों की तस्वीर सी बन जाती है! जब भी आ जाता है सैलाब तमन्नाओं…
हार कर भी तेरी कहानी की तरह हूँ! हार कर भी तेरी निशानी की तरह हूँ! ठोकरें खाता रहा हूँ उम्र भर लेकिन, जोशे-जिदंगी में…
तेरी चाहत मेरी आदत सी बन गयी है! मेरी जिन्दगी की अमानत सी बन गयी है! पलकों में चलते रहते हैं यादों के कदम, मेरी…
तेरा कबतलक मैं इंतजार करता रहूँ? तेरी वफा पर मैं ऐतबार करता रहूँ? दफ़न हो गयी है अंधेरों में जिन्दगी, दर्दे-जुदाई में तुमसे प्यार करता…
तेरी यादों की तन्हाई से डर जाता हूँ! तेरी चाहत की परछाई से डर जाता हूँ! टूट गये हैं ख्वाब सभी तेरी रुसवाई से, तेरी…
अब तो मंजिलों के भी दाम हो गये हैं! रिश्ते जिन्दगी के नीलाम हो गये हैं! दर्द की लकीरें तैरती हैं अश्कों में, अब तो…
तेरा ख्याल जब कभी मुझको चूमता है! हरतरफ फिजाओं में सावन झूमता है! कबतलक मैं रोकूँगा प्यास धड़कनों की? हर घड़ी दिल में तेरा ख्वाब…
शाम की तन्हाई में खामोशी आ रही है! ख्वाबों और ख्यालों की सरगोशी आ रही है! मुमकिन नहीं है रोकना यादों के कदमों को, दिल…
इसकदर उलझी है जिन्दगी तकदीरों में! हम राह ढूंढते हैं हाथ की लकीरों में! इंसान डर रहा है आशियाँ बनाने से, बंट गयी हैं बस्तियाँ…
तेरे बगैर जिन्दगी बेजान सी रहती है! तेरी बेवफाई से हैरान सी रहती है! मेरी राह थक गयी है अब तो इंतजार की, तेरी चाहत…
तेरी आँखों में झील सी गहरायी है! तेरी अदाओं में कैद अंगड़ायी है! जबसे देख लिया है तेरे रुखसार को, तेरी जिगर में तस्वीर उतर…
तेरे बिना मेरी जिन्दगी कटेगी कैसे? तेरे बिना मेरी तिश्नगी मिटेगी कैसे? तेरी बेपनाह चाहत है आज भी दिल में, तेरी आरजू इरादों से हटेगी…
तेरा ख्याल क्यों मुझको आता ही रहता है? तेरा ख्याल मुझको तरसाता ही रहता है! तेरी याद जुड़ गयी है साँसों की डोर से, तेरा…
शामें-गम को तेरे नाम मैं करता हूँ! दर्दे-तन्हाई को सलाम मैं करता हूँ! शौक अभी जिन्दा है खुद को जलाने का, बस यही शामों-सहर काम…
कुछ लोग खुद को तेरा दीवाना कहते हैं! कुछ लोग खुद को तेरा परवाना कहते हैं! कई लोग ढूँढते हैं पैमानों में तुमको, तेरी अदाओं…
कुछ लोग खुद को तेरा दीवाना कहते हैं! कुछ लोग खुद को तेरा परवाना कहते हैं! कई लोग ढूँढते हैं पैमानों में तुमको, तेरी अदाओं…
अधूरा सा हूँ मैं तेरे नाम के बिना! तड़पाती यादों की सुबह शाम के बिना! देखकर जिन्दा हूँ तेरी तस्वीरों को, मुझे नींद भी आती…
खुद की तरह जीने का जूनून रखता हूँ! दिल में अरमानों का मज़मून रखता हूँ! अभी हौसला जिन्दा है पाने का तुमको, खुद में तूफानों…
आज भी तेरे लिए हम यार बैठे हैं! तेरी चाहत में गिरफ्तार बैठे हैं! कोई डर नहीं है जुल्मों के दौर का, हर जख्म के…
तेरी तस्वीर को सीने से लगा रखा है! तेरी चाहतों को पलकों में सजा रखा है! रोकना मुमकिन नहीं है तेरी आरजू को, तेरी तमन्ना…
कौन है जो दुनिया में नाकाम नहीं होता! कौन है जो दुनिया में बदनाम नहीं होता! डरता नहीं है बेबसी के खौफ़ से कभी, वक्त…
मेरा गम लबों पर तेरा नाम ले आता है! मेरी तमन्नाओं का अंजाम ले आता है! जब मुझको तड़पाती है सरगोशी यादों की, मेरी ख्वाहिशों…
जख्मों को भूल जाऊँ दिलशाद करूँ कैसे? तेरे गम से खुद को आजाद करूँ कैसे? तेरे बगैर कोई एह्सास नहीं मुझको, चाहत की दस्तक को…
मुझे गुजरा हुआ ज़माना याद आता है! मुझे गुजरा हुआ अफसाना याद आता है! वो ख्वाहिशों की रूह से लिपटी हुयी रातें, मुझे तेरा क़रीब…
क्यों सामने हो तुम मगर दूरी बरकरार है? दरमियाँ रिवाजों की मजबूरी बरकरार है! बेखौफ़ तमन्नाऐं घेर लेती हैं मुझको, तेरी आरजू दिल में अधूरी…
गमों को दिल में छुपाना आसान नहीं है! शमा यादों की बुझाना आसान नहीं है! जब भी छूट जाते हैं हमसफर राहों में, अकेले लौट…
तुमको किसी से कभी तो प्यार होगा! जिन्दगी का हर-पल बेकरार होगा! घेर लेगी दिल को जब भी तन्हाई, तुमको हमसफर का इंतजार होगा! मुक्तककार-#मिथिलेश_राय…
तेरी आरजू से मुँह मोड़ नहीं पाता हूँ! तेरी तमन्नाओं को छोड़ नहीं पाता हूँ! यादों में ढूंढ लेता हूँ तस्वीरें तेरी, तेरे प्यार से…
तेरी यादों की जब भी आहट होती है! दिल में जैसे कोई घबराहट होती है! साँसों की रफ्तार बढ़ जाती है जिस्म में, धड़कन में…
जो आती है लबों पर बात तुम वही तो हो! जो तड़पाती है मुलाकात तुम वही तो हो! ठहरी हुई है आग अभी चाहत की…
तुमसे मुलाकात कभी जो हो जाती है! जैसे दिल में अंगड़ाई रो जाती है! मयकदों में ढूंढता हूँ यादों के निशां, मेरी नींद पैमानों में…
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