मुक्तक
मैं तेरी सूरत का दीवाना हूँ कबसे। मैं तेरी चाहत का अफ़साना हूँ कबसे। अंज़ामें-बेरुख़ी से बिख़री है ज़िन्दग़ी- मैं तेरे ज़ुल्मों का नज़राना हूँ…
मैं तेरी सूरत का दीवाना हूँ कबसे। मैं तेरी चाहत का अफ़साना हूँ कबसे। अंज़ामें-बेरुख़ी से बिख़री है ज़िन्दग़ी- मैं तेरे ज़ुल्मों का नज़राना हूँ…
ख़्वाब टूटते हैं मग़र यादें रह जातीं हैं। चाहतों की दिल में फ़रियादें रह जातीं हैं। देख़तीं रहतीं हैं आँखें राहें मंज़िल की- वस्ल की…
कोई कहे कैसे उसको ग़म नहीं है? जो कुछ मिल गया है उसको कम नहीं है। तुम हर तरफ़ ढूँढ़ लो इलाज़े-मर्ज़ को- इस दर्द…
मेरे दर्द को तेरा अफ़साना याद है। मेरे ज़ख़्म को तेरा ठुक़राना याद है। ख़ींच लेती है तलब मुझको पैमाने की- हर शाम साक़ी को…
हम ज़िन्दग़ी में ग़म को कब तक सहेंगे? हम राह में काँटों पर कब तक चलेंगे? क़दम तमन्नाओं के रुकते नहीं मग़र- हम मुश्क़िले-सफ़र में…
तेरे बग़ैर तेरी तस्वीरों का क्या करूँ? मैं तेरे ख़्यालों की जंज़ीरों का क्या करूँ? अश्क़ों को छुपा लेता हूँ पलकों में लेकिन- मैं तेरे…
क्यों तुम मेरी यादों में ग़म कर जाते हो? आकर मेरी निगाह को नम कर जाते हो। दर्द की आहट से डर जाती है ज़िन्दग़ी-…
तेरा तसव्वुर मुझे जुनून देता है। तेरे सिवा कुछ नहीं सुकून देता है। रातों को जगाती है तेरी तमन्ना- तेरा हुस्न दिल को मज़मून देता…
तेरे सिवा नज़र में कोई तस्वीर नहीं है। तेरे सिवा ख़्याल की कोई जागीर नहीं है। चाहत के हर पन्ने पर परछाई है तेरी- तेरे…
होते ही सुबह तेरी तस्वीर से मिलता हूँ। अपनी तमन्नाओं की ज़ागीर से मिलता हूँ। नज़रों को घेर लेता है यादों का समन्दर- चाहत की…
आज फ़िर हाथों में जाम लिए बैठा हूँ। तेरे दर्द का पैगाम लिए बैठा हूँ। वस्ल की निगाहों में ठहरी हैं यादें- आज फ़िर फुरक़त…
मैं जब कभी तेरी तस्वीर देख लेता हूँ। मैं अपने ख़्यालों की तक़दीर देख लेता हूँ। ख़्वाबों के समन्दर में उठती है चिंगारी- मैं तेरी…
जुस्तज़ू क़ुरबत की फ़िर से बहक रही है। तेरी बेरुख़ी से मगर उम्र थक रही है। रात है ठहरी सी तेरे इंतज़ार में- तिश्नगी आँखों…
मेरी नज़र के सामने साक़ी को रहने दो। हाथों में जाम है मगर बाक़ी को रहने दो। धधक रही हैं तस्वीरें यादों की दिल में-…
तेरे बग़ैर तन्हा रहने लगा हूँ मैं। तेरी बेवफ़ाई को सहने लगा हूँ मैं। जब भी ग़म तड़पाता है मेरे ख़्यालों को- अश्क़ बनकर पलकों…
मैं तेरे बग़ैर तेरी तस्वीरों का क्या करूँ? मैं तड़पाती यादों की जागीरों का क्या करूँ? मैं अश्कों को पलकों में रोक सकता हूँ लेकिन-…
मेरे दर्द को तेरा अफ़साना याद है। मेरे ज़ख्म को तेरा ठुकराना याद है। लबों को खींच लेती है पैमाने की तलब- हर शाम साक़ी…
मैं अधूरा सा हूँ तेरे नाम के बग़ैर। यादों की तड़पाती हुई शाम के बग़ैर। मैं देखकर ज़िन्दा हूँ तेरी तस्वीरें- आँखें भी सोती नहीं…
तेरी गली से आज फ़िर होकर गुज़रा हूँ। तेरी गली से आज फ़िर रोकर गुज़रा हूँ। आवाज़ दे रही थी मुझे तेरी तिश्नगी- तेरी गली…
तेरी आरज़ू से मुँह मोड़ नहीं पाता हूँ। तेरी तमन्नाओं को छोड़ नहीं पाता हूँ। यादों में ढूंढ़ लेता हूँ तेरी तस्वीरें- तेरे प्यार से…
तेरी आरज़ू से मुँह मोड़ नहीं पाता हूँ। तेरी तमन्नाओं को छोड़ नहीं पाता हूँ। यादों में ढूंढ़ लेता हूँ तेरी तस्वीरें- तेरे प्यार से…
कभी तो किसी शाम को घर चले आओ। कभी तो ग़मों से बेख़बर चले आओ। हर रात बीत जाती है मयखाने में- कभी तो रास्ते…
काश तेरी उल्फ़त की हर बात भूल जाऊँ। काश तेरी कुर्बत की हर रात भूल जाऊँ। भूल जाऊँ दिल से कभी तेरे सितम को- काश…
तेरा नाम कागज़ पर बार-बार लिखता हूँ। तेरे प्यार को दिल में बेशुमार लिखता हूँ। टूटेगा न सिलसिला तेरी तमन्नाओं का- तेरे ख़्यालों पर गमें-इंतज़ार…
मैं तेरी गुफ्तगूं की राह ढूंढ़ता रहता हूँ। मैं तेरी ज़ुल्फ़ों की पनाह ढूंढ़ता रहता हूँ। जब भी नज़र में आती हैं तस्वीरें यादों की-…
तेरा ख़्याल ख़ुद को समझाने का रास्ता है। तेरी याद दिल को बहलाने का रास्ता है। जब जाग जाती है लबों पर तेरी तिश्नगी- हर…
मैं ख़ुद की तरह ज़ीने का जुनून रखता हूँ। मैं दिल में अरमानों का मज़मून रखता हूँ। हौसला क़ायम है अभी दर्द को सहने का-…
जबसे ज़िन्दग़ी में आप मिल गये हैं। रास्ते मंज़िल के फ़िर से खिल गये हैं। जागे हुए पल हैं ख़्वाबों के नज़र में- ज़ख्म भी…
जबसे ज़िन्दग़ी में आप मिल गये हैं। रास्ते मंज़िल के फ़िर से खिल गये हैं। जागे हुए पल हैं ख़्वाबों के नज़र में- ज़ख्म भी…
ग़मों को दिल में छुपाना आसान नहीं है। शमा यादों की बुझाना आसान नहीं है। जब भी छूट जाता है हमसफ़र राहों में- अकेले लौट…
मैं हार कर भी तेरी कहानी की तरह हूँ। मैं हार कर भी तेरी निशानी की तरह हूँ। मैं ठोकरें खाता रहा हूँ उम्र भर…
क्यों तुम शमा-ए-चाहत को बुझाकर चले गये? क्यों तुम मेरी ज़िन्दग़ी में आकर चले गये? हर ग़म को जब तेरे लिए सहता रहा हूँ मैं-…
मैं अपनी तमन्नाओं पर नकाब रखता हूँ। मैं करवटों में चाहत की किताब रखता हूँ। जब भी क़रीब होती हैं यादें ज़िन्दग़ी की- मैं दर्द…
आज भी तेरी जिग़र में आरज़ू जवां है। आज भी निगाह में ख्व़ाबों का कारवां है। उल्फ़त के समन्दर में तूफ़ान हैं लेकिन- मुसीबत में…
हम तेरी याद में रो भी लेते हैं। हम तन्हा गमज़दा हो भी लेते हैं। जब रंग सताता है तेरे हुस्न का- हम खुद को…
अभी तेरी आरज़ू का ग़ुबार है दिल में। अभी तेरी यादों का संसार है दिल में। ख़ौफ भी रुसवाई का मौजूद है लेकिन- अभी तेरे…
अपनी यादों को मिटाना बहुत कठिन है। अपने गम को भूल जाना बहुत कठिन है। जब राहे-मयखानों पर चलते हैं कदम, होश में लौट कर…
अपनी यादों को मिटाना बहुत कठिन है। अपने गम को भूल जाना बहुत कठिन है। जब राहे-मयखानों पर चलते हैं कदम, होश में लौट कर…
कहीं तेरी बेवफाई से मैं बदल न जाऊँ? कहीं इंतजार की ज्वाला से मैं जल न जाऊँ? मुझे दर्द सताता है हर वक्त तन्हाई में,…
तेरी दिल में ख्वाहिश आयी है अभी अभी! चाहत की फरमाइश आयी है अभी अभी! गूंज उठी है शहनाई यादों की लेकिन, फिर गम की…
फसाना जिंदगी का अजीब जैसा है! हर ख्वाब आदमी का रकीब जैसा है! बदली हुई निगाहों का खौफ है दिल में, मंजिलों का मिलना तरकीब…
मंजिलों के रास्ते कुछ बोल रहे हैं! रंग दिल में चाहत का घोल रहे हैं! तिश्नगी ल़बों पर है पैमानों की, क़दम जुस्तजू के कुछ…
तुमसे अपने प्यार को कहना मुश्किल है! तेरे बगैर लेकिन रहना मुश्किल है! तुमको कभी गैर की बाँहों में देखकर, तेरी बेवफाई को सहना मुश्किल…
तेरी नजर हाल-ए-दिल बयान कर देती है! तेरी नजर चाहत का ऐलान कर देती है! ख़्वाहिशें बंध जाती हैं साँसों की डोर से, तेरी याद…
दिन गुजर जाएगा मगर रात जब होगी! तेरे ख्यालों से मुलाकात तब होगी! कबतलक सुनता रहूँ गमों की सिसकियाँ? तुमसे रूबरू दिल की बात कब…
मुझे तेरी आरजू में जुदाई मिल गयी है! मुझे तेरी चाहत में तन्हाई मिल गयी है! गमगीन हो गयी है मेरी हाल-ए-जिंदगी, मुझे राहे-वफा में…
तेरी जुस्तजू का आना कबतक रहेगा? तेरा यूँ दिल में ठिकाना कबतक रहेगा? जाम के नशे में खुद को भूला हूँ लेकिन, सामने हरदम पैमाना…
तुम मेरी जिंदगी में बेहद बेशुमार हो! तुम मेरे तसव्वुर में आते बार–बार हो! मुश्किल बहुत है रोकना तेरे सूरूर को, तुम मेरी नज़र में…
तुम मेरी जिंदगी में बेहद बेशुमार हो! तुम मेरे तसव्वुर में आते बार–बार हो! मुश्किल बहुत है रोकना तेरे सूरूर को, तुम मेरी नज़र में…
वक्ते-सितम से रिश्ते टूट जाते हैं! राहे-वफा में रहबर छूट जाते हैं! दूरियाँ हो जाती हैं जिनसे दिलों की, बेरहम बनकर हमसे रूठ जाते हैं!…
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