मुक्तक
ये आँखे मेरी निर्झर जैसे झर जाती तो अच्छा होता जिग्यासा दर्शन की मन में मर जाती तो अच्छा होता | तुम पथिक मेरे पथ…
ये आँखे मेरी निर्झर जैसे झर जाती तो अच्छा होता जिग्यासा दर्शन की मन में मर जाती तो अच्छा होता | तुम पथिक मेरे पथ…
अब और परीक्षा नही… अब और परीक्षा नही प्रतिक्षा नही करेंगे | किया नही पर प्रीत हो गई उल्टी जग की रीत हो गई |…
” मन के मोती…” पानी के बुलबुले से माला के मोतियों से बिखरता है टूट जाता है | बनता है मन का मोती बन कर…
“कुछ दोहे” गुरु की महिमा का हरि करते है गुंणगान | श्रेष्ठ न गुरू से है कोई बता दिये भगवान || नित्य श्रद्धा से लीजिए…
कविता- संवेदना… तू कौन है ..! तू कौन है..! संवेदना ! जो अनछुए अनदेखे पहलुओं को एकाएक होने का आभाष कराती है ! तू कौन…
तू कौन है ..! तू कौन है..! संवेदना ! जो अनछुए अनदेखे पहलुओं को एकाएक होने का आभाष कराती है ! तू कौन है..! जो…
“मुक्तक” मुझे क्या हो गया है घर में घर अच्छा नही लगता कोई बेचारगी में दर बदर अच्छा नही लगता ! मुझे सब सोहरते हासिल…
सरिता पावन हो गई स्निग्ध खुश्बू सी वन में छाई है तु कौन रमणिका जल क्रिडा को चली कहां से आई है! सारा उपवन नतमस्तक…
“गीतिका” मन को छोटा मत कर मानव तन्मय हो धर्म निभाता चल | सोया जग घोर तिमिर तो क्या तू मन का दीप जलाता चल…
“मुक्तक” हमने पूछा उनसे क्या दूकानदारी चल रही अब नकद है या पहले सी उधारी चल रही ! क्या नमक देश का कुछ रंग भी…
एक दिन गया बाजार मैं जेब में रूपये दस ! जी चाहे खाऊँ समोसे कुरकुर और भसभस !! पूछन लगा दूकान में देगा क्या सरबस…
“मुक्तक” खुद कभी माना नही जिसको सीखाते है थे कभी बहरे जो दुनियां को सुनाते है ! जिन्दगी जिसकी हुई जाया ही गफलतों में ओ…
” दोहा और कुंडलिया ” २१. १२२. २१२. ११. ११. ११२ १२ देखि मुखौटा चूतिया | फंसि मति जइयो जाय || २२ २२ २१ २…
” मुक्तक ” आँखों से आंशुओं को यूँ जाया नहीं करते। हर बात पर बच्चो को रुलाया नहीं करते।। खुशिंया नहीं दे सकते ना सही…
आज का विषय-मनहरण घनाक्षरी/कवित्त दिनांक-२०/६/१६ विधा- गीत (गौना/भला) वार्णिक छंद मात्राएँ-८ ८ ८ ७ – १६-१५ धरती पर वृक्ष नित्य अल्प होते जा रहे पर्यावरण…
मुक्तक छंद – वार्णिक (मनहरण घनाक्षरी) सामांत-आई पदांत- है ८८८७-१६-१५ पहले जो पढने में गदहे कहलाते थे उनकी भी दिखती आज नही परछाई है !…
“मुक्तक छंद पर चार पंक्तियाँ “(घनाक्षरी) ११. ११२. २. २ २. २१. २. २२ १२. ११ २ पुण्य करना है तो माँ बाप की सेवा…
इलाहाबाद की बात निराली नगरी वही निराला वाली | एक तरफ प्रयाग राज है दूजी तरफ गंगा मतवाली || इलाहाबाद की बात… गूढ भेद…
कविता… हम जाते है स्कूल हाँ हम जाते है स्कूल | अपना भविष्य गढने अनुकूल || हम जाते है स्कूल…… पढ लिख कर होनहार बनेंगे…
……..दर्शन……. यह अति नूतन दर्शन है पावन यह परिवर्तन है | सर्वोत्तम ज्ञान का दर्पण है दिव्य दान यह धन है || इसका उत्थान इसी…
सो रहा कई रातों का जगा तुम आज मुझे जगाना मत | शब्दों के घाव बड़े मतिहीन उर को मेरे पहुँचाना मत || होती रिश्तों…
” गजल ” जहर मौत और जिन्दगी भी जहर है सिसकती है रातें दहकता शहर है | सदमों का आलम बना हर कही पर सहम…
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